READ MORE : किसानों का बदला मूड, अरब और बांग्लादेश तक नहीं जायेंगी छत्तीसगढ़ की सब्जियां ! पत्रिका को मिली जानकारी के मुताबिक राज्य स्वास्थ्य विभाग 2004 से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। बीजापुर और कोरिया जिलों में इस प्रोजेक्ट को चलाया गया था, जिसके अच्छे परिणाम थे। मगर, अब एक-एक ब्लॉक को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पहले चरण में 28 ब्लॉक का चयन किया जा चुका है। इसके तहत उन लोगों की सूची लगभग तैयार कर ली गई है जिनकी दोनों आंखों में मोतियाबिंद है। इन लोगों के ऑपरेशन करवाकर इन्हें अंधा (ब्लाइंड) होने से रोकना है। क्योंकि एक बार रोशनी गई तो फिर उसके लिए कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही विकल्प है, जिसका डोनेशन पर्याप्त नहीं है।
मिलेगा नकद पुरस्कार
योजना के तहत विकासखंड के मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त होने पर 5 लाख, जिला मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त होने पर 10 लाख और राज्य को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त होने पर 50 लाख रुपए का नगद पुरस्कार मिलेगा।
READ MORE : तीन साल में भी नहीं बना इंद्रप्रस्थ, अब अतिरिक्त लागत और टैक्स का बोझ आम आदमी पर ऑपरेशन का प्रोटोकॉल भी जारीस्वास्थ्य कार्यकर्ता, मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दृष्टिहीन रोगियों की सूची तैयार करेंगी। नेत्र सहायक अधिकारियों को चयनित विकासखंड में भेजकर रोगियों की पुष्टि की जाएगी। इस कार्यक्रम में एनजीओ की मदद ली जा सकती है। कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए ऑपरेशन किए जाएंगे, ऑपरेशन के पहले मरीजों का एंटीजन टेस्ट अनिवार्य होगा।
सरकारी अस्पतालों में हों अधिक से अधिक ऑपरेशन
निजी अस्पतालों में डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत नेत्र संबंधित सभी ऑपरेशन बंद कर दिए गए हैं। इसलिए स्वास्थ्य विभाग की मंशा है कि इस प्रोजेक्ट के तहत शासकीय क्षेत्रों में मोतियाबिंद ऑपरेशन हों, लोग शासकीय योजनाओं का लाभ लें। योजना के तहत ऑपरेशन की राशि तय है।
मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। ब्लॉक को इसके लिए चयनित किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य मोतियाबिंद की वजह से लोगों को दृष्टिहीन होने से बचाना है।
– डॉ. सुभाष मिश्रा, राज्य नोडल अधिकारी, अंधत्व निवारण कार्यक्रम, स्वास्थ्य विभाग