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रायपुर

सिटी के विक्रम जर्मनी में कोरोना से लडऩे की तकनीक पर कर रहे काम

कॉपर मास्क और सर्विलेंस टेक्नोलॉजी हो रही डवलप

रायपुरMar 27, 2020 / 12:27 am

Devendra sahu

सिटी के विक्रम जर्मनी में कोरोना से लडऩे की तकनीक पर कर रहे काम

सिटी के विक्रम जर्मनी में कोरोना से लडऩे की तकनीक पर कर रहे काम

रायपुर. देश-दुनिया में जिस वायरस ने दहशत फैलाई है उससे लडऩे के लिए टेक्नोलॉजी पर काम शुरू हो चुका है। जिस कंपनी ने यह शुरुआत की है उसमें हमारे शहर के इंजीनियर विक्रम राजपूत भी हैं। एनआईटी रायपुर से पासआउट विक्रम ने आईआईटी खडग़पुर से मास्टर इन मैकेनिकल डिजाइन करने के बाद हैल्थ सेक्टर को चुना। वे इन दिनों हैल्थ स्टार्टअप कंपनी में इंजीनियर हैं। जर्मनी में कोरोना के करीब ४० हजार केस आ चुके हैं। वे कॉपर मास्क और सर्विलेंस डिजाइन कर रहे हैं। कफ्र्यू के चलते अभी मेन्युफैक्चरिंग मुश्किल है। भाटागांव निवासी विक्रम ने बताया कि कॉपर मास्क एक तरह से फैशनेबल मास्क है जिसे ऑफिस में पहनकर जाया जा सकता है। यह दिखाई भी नहीं देगा। मास्क का पर्पस है कि हाथ को मुंह तक न जाने दिया जाए। सर्विलेंस में जो लोग क्वारंटीन को फॉलो नहीं कर रहे उनके लिए हम टेक्नोलॉजी और एेप का इस्तेमाल कर एक मैप बना रहे हैं जिससे उनकी लोकेशन पता चलती रहेगी। अगर वे 10 मीटर के बाहर अपनी जगह छोड़कर जाते हैं तो मॉनिटरिंग की जा सकेगी।


दो प्रॉब्लम पर काम

पहला प्रिवेंटिव है मास्क। जिससे कि आप वायरस के प्रभाव में न आएं। यह 100 से 150 रुपए में मिल जाएगा। दूसरा है सर्विलेंस। यह हैंड बैंड और एेप से संचालित होगा। सर्विलेंस में हम क्वारंटीन की मॉनिटरिंग कर सकेंगे। कोरोना से बचने के लिए मार्केट में दो तरह के मास्क हैं। एक है एक है एन-95। यह उन वायरस से लडऩे के लिए है जो हवा से फैलता है। दूसरा है सर्जिकल। हाथ से हम मास्क को टच करते हैं। अगर हाथ गंदा है तो बार-बार मुंह पर जाने से वायरस पहुंच जाता है। कॉपर का मास्क कूल रहेगा। कूल का मतलब है फैशनेबल। इसे हेडफोन की तरह पहना जा सकेगा। यह स्कीन को टच नहीं करेगा लेकिन आपके हाथ को मुंह से छूने से रोकेगा।


कॉपर मास्क में 4 घंटे से ज्यादा नहीं रहता वायरस
कॉपर ही एकमात्र एेसी चीज है जिसमें कोविड-19 वायरस सिर्फ 4 घंटे तक रुकता है। जबकि अन्य में 12 से 36 घंटे तक रुकता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि मास्क वही पहनें जो बीमार हैं। यूरोप या जर्मनी में सिर्फ बीमार लोग ही पहन रहे हैं। क्योंकि कोरोना हवा से नहीं फैल रहा। हाथ से किसी चीज को टच करने या हाथ को मुंह तक ले जाने पर कोरोना होगा।

भारत में फिजिकल डिस्टेंस जरूरी
यहां 28 हजार वेंटिलेटर है तो 2 लाख 85 हजार केसेस होने के बाद वेंटिलेटर की कमी होगी। यहां सिस्टम ठीकठाक है तो वे लोगों को बचाने में सफल हो रहे हैं लेकिन भारत में स्थिति एेसी नहीं है। वहां हर एक हजार लोगों पर 0.8 डॉक्टर्स हैं। जर्मनी में हर हजार लोगों के पीछे 8 डॉक्टर और 8 बेड हैं। एेसे में भारत में रह रहे लोगों के लिए जरूरी है कि वे सोशल डिस्टेंटिंग का इस्तेमाल करें। मैं यही कहूंगा कि फिजिकल डिस्टेंस ही हमें बचा सकता है। सरकार जो भी डिसीजन ले रही है उसे फॉलो करें। घर पर रहें। चूंकि यह वायरस 50 से ज्यादा उम्र के लोगों जल्दी अटैक करता है इसलिए उनका ख्याल रखें। अगर छत्तीसगढ़ सरकार मैन्युफैक्चरिंग के लिए कहे तो हम तैयार हैं।

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