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रायपुर

जिस बुजुर्ग को लोग देखना तक पसंद नहीं करते थे उसका हुलिया ही बदल दिया इन युवाओं ने

हाइड्रोसिल से पीडि़त निर्वस्त्र भटकते बुजुर्ग का ऑपरेशन, अब मानसिक इलाज कराएंगे

रायपुरFeb 15, 2020 / 01:47 am

Tabir Hussain

जिस बुजुर्ग को लोग देखना तक पसंद नहीं करते थे उसका हुलिया ही बदल दिया इन युवाओं ने

कालड़ा हॉस्पिटल में ऑपरेशन के बाद बुजुर्ग की स्थिति। इस दौरान डॉ सुनील कालड़ा अपनी टीम के साथ और कुछ फर्ज हमारा है के मेंबर।

ताबीर हुसैन @रायपुर. राजधानी का पुरानी बस्ती इलाका। एक बुजुर्ग निर्वस्त्र घूमता दिखाई देता है। आने-वाले लोग नजरे चुराते हुए निकल जाते हैं। हाइड्रोसिल से पीडि़त इस बुजुर्ग की मानसिक स्थिति भी सही नहीं है। भागदौड़ की जिंदगी में सब अपने में मस्त हैं। तभी एक नौजवान की नजर उस पर पड़ती है। इसका नाम है नितिन सिंह राजपूत। वह अपने परिचित दीपक शर्मा को फोन करता है। नितिन बुजुर्ग का हुलिया बदलना चाहता है और इसके लिए इधर-उधर बातें होती हैं। तय होता है कि कालड़ा नर्सिंग होम में इनका ऑपरेशन कराया जाए। सभी औपचारिकताएं पूरी होती है और बुजुर्ग की दशा सुधारने का पहला कदम पूरा हो जाता है। अब इनकी दिमागी इलाज किया जाएगा।

सोशल मीडिया पर दो लाख लोगों ने देखा
सोशल मीडिया में पुरानी बस्ती लोहार चौक के आसपास घूमने वाले विक्षिप्त बुजुर्ग का वीडियो खूब वायरल हुआ है। इसमें कुछ फर्ज हमारा है (केएफएचबी) की टीम द्वारा हॉस्पिटल पहुंचाकर उसका हुलिया बदलने की प्रक्रिया को दिखाया गया है। निर्वस्त्र घूम रहे बुजुर्ग का इलाज सिटी के कालड़ा नर्सिंग होम में डॉ सुनील कालड़ा ने नि:शुल्क किया। बुजुर्ग का नाम ताम्रध्वज सोनकर है। पुरानी बस्ती में इनके भाई रहते हैं। हालांकि लंबे समय से किसी ने इनकी जिम्मेदारी नहीं ली है। केएफएचबी के नितिन राजपूत ने दीपक शर्मा से चर्चा की और बात डॉ कालड़ा तक पहुंची। वे इलाज के लिए तैयार हो गए। डॉ कालड़ा ने कहा कि हाइड्रोसिल से पीडि़त विक्षिप्त व्यक्ति की सर्जरी करने से जितनी खुशी मुझे हैं उससे कहीं ज्यादा केएफएचबी के नितिन, अमित, स्मारिका, उर्वशी वैष्णव, मौसमी सिंह, अजयप्रकाश वर्मा, आभा बघेल और भूपेंद्र पर गर्व है।

परिजन सब्जी बेचने का करते हैं काम

मोहल्लेवासियों ने बताया कि इनके भैया-भाभी और भतीजे हैं। वे सब्जी का व्यवसाय करते हैं। ताम्रध्वज जब लॉ की पढ़ाई कर रहे थे तब से मेंटली डिस्टर्ब हो गए। इनकी सौतेली मां थी।
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हेल्पलाइन नंबर 104 किसी काम का नहीं

मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की सदस्य ने बताया कि ऐसे लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर 104 तय है। लेकिन यहां रिंग करने से 112 में फारवर्ड किया जाता है। वहां किसी को पता ही नहीं कि विक्षिप्त लोगों का इलाज कहां करना होता है। फिलहाल इन्हें जिला अस्पताल भेजा जाएगा और वहां से मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण भेजा जाएगा।

स्वच्छता से हुई थी शुरुआत

नितिन ने बताया कि बात 23 मई 2018 की है जब मैं घर लौट रहा था। मैंने देखा कि कूड़ा फेंकने के नाम पर दो महिलाएं लड़ रही है। घर में इस घटना का जिक्र किया। अपने दोस्त अमित को बताया। हमने तय किया कि सफाई में हम भागीदार बनेंगे। उसी जगह गए और कचरे को साफ कर दिया। यहीं से हमने सफाई अभियान शुरू किया। हमको एक अधेड़ व्यक्ति मिला जो हमसे खाना मांगने लगा। उसका हुलिया देखकर लगा क्यों न इसे व्यवस्थित किया जाए। हमने उसके लंबे बाल काटे, नहलाकर खाना खिलाया। तबसे हम सफाई के अलावा ऐसे बुजुर्गों की सेवा भी करने लगे।

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