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रायपुर

coal crisis: कोयले के आयात में भारी कमी, गहराएगा बिजली संकट

आने वाले दिनों में देश में बड़े बिजली संकट के रूप में देखने को मिलेगा।
राजस्थान समेत कुछ प्रदेशों में तो यह हालात बनने भी लगे हैं।

रायपुरMar 31, 2022 / 11:50 pm

Rajesh Lahoti

coal crisis: कोयले के आयात में भारी कमी, गहराएगा बिजली संकट

coal crisis: कोयले के आयात में भारी कमी, गहराएगा बिजली संकट

राजेश लाहोटी
रायपुर। आने वाले दिनों में देश में कोयले का भारी संकट गहरा सकता है। कीमतों में 67 फीसदी बढ़ोतरी के कारण इस वित्तीय वर्ष में कोयले का आयात 10 फीसदी कम हुआ है। यही कारण आने वाले दिनों में देश में बड़े बिजली संकट के रूप में देखने को मिलेगा। राजस्थान समेत कुछ प्रदेशों में तो यह हालात बनने भी लगे हैं।
जानकारों के मुताबिक मार्च 2022 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों के दौरान, कोयला आयात की मात्रा में वार्षिक आधार पर 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, इसी अवधि के दौरान आयातित वस्तुओं के मूल्य में 67 प्रतिशत की भारी वृद्धि भी हुई है। इस वित्तीय वर्ष में 97403 करोड़ की लागत से थर्मल कोल (नॉन-कोकिंग कोल) का आयात 125.74 मिलियन टन (एमटी) था। इसके मुकाबले वित्त वर्ष 2021 में इसी अवधि के दौरान, आयात 139.42 एमटी था, जो 58,189 करोड़ रुपये था, जो आयातित कोयले की कीमत में जबरदस्त बढ़ोतरी बताता है।
कोयला कंपनियों से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि उच्च वैश्विक कीमतों ने बिजली संयंत्रों और अन्य क्षेत्रों के लिए सूखे ईंधन का आयात करना अव्यावहारिक बना दिया है, जिससे उन्हें घरेलू आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसके कारण कोयला आपूर्ति में कमी होती है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर पर्यापत मात्रा में कोयला उपलब्ध नहीं कराया गया तो जल्द ही गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
घरेलू कोयले पर बढ़ा दबाव
पिछले कुछ महीनों में बिजली संयंत्रों को प्रतिदिन औसत घरेलू कोयले की आपूर्ति में वृद्धि हुई है। दिसंबर 2021, जनवरी 2022 और फरवरी 2022 में सीआईएल, एससीसीएल और कैप्टिव कोयला ब्लॉकों से अन्तकालीन आधार पर दैनिक घरेलू कोयले की आपूर्ति करीब 2.05 टन, 2.02 टन और 2.14 टन प्रति दिन थी। इसके अलावा, सीआईएल द्वारा कोयले की आपूर्ति का एक हिस्सा, जो कि वित्त वर्ष 2020 में कोयले की कुल खपत का लगभग 60.8 प्रतिशत था, वित्त वर्ष 2021 में बढ़कर 63.3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022 (अप्रैल-जनवरी) में बढ़कर 64.3 प्रतिशत हो गया। यानी आयात कम होने का पूरा दबाव घरेलू क्षेत्र पर बढ़ता नजर आ रहा है।
उच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय कीमतें
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की 10 मार्च की रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय कोयले की कीमतें पहले से ही उच्च स्तर पर थीं और मौजूदा यूक्रेन संकट ने इसे और बढ़ा दिया, क्योंकि रूस कोयले का एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता है। ऑस्ट्रेलियाई कोयले की मौजूदा कीमत 170 डॉलर प्रति टन है, वहीं यूरोप में न्यूकैसल कोयले के दाम मार्च 2022 में 440 डॉलर प्रति टन को पार कर गए।
आपूर्ति में बढ़ी रुकावट
आईसीबी पावर प्लांट्स द्वारा कम उत्पादन और भारी बारिश के कारण कोयले की आपूर्ति में भी बढ़ी रुकावट देखने को मिली है। इसी कारण बिजली की बढ़ती मांग ने बिजली संयंत्रों की हालत खराब कर दी। स्टॉक 8 अक्टूबर, 2021 को 7.2 एमटी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया था। भारत के कई हिस्सों में अक्टूबर और नवंबर में बिजली कटौती की सूचना मिली, जिसके बाद सरकार ने बिजली संयंत्रों को आपूर्ति के मामले को प्राथमिकता दी है। यही कारण है कि घरेलू कोयले पर आधारित संयंत्रों के लिए स्टॉक 15 मार्च को 24.85 एमटी तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 22 (अप्रैल-फरवरी) के लिए, बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति 626.3 एमटी थी, जबकि खपत 631.5 एमटी थी। 16 मार्च तक, बिजली संयंत्रों में उपलब्ध कोयले का स्टॉक लगभग 26.3 एमटी था जो उनकी आवश्यकता का लगभग 39 प्रतिशत है। एक हफ्ते बाद, 24 मार्च को, स्टॉक और कम हो गया जो मानक स्टॉक की आवश्यकता का लगभग 38 प्रतिशत था।
एसईसीएल पॉवर और नॉन पॉवर सेक्टर को कोयला दे रही है। नॉन पॉवर सेक्टर की कोयला जरुरत एसईसीएल के उत्पादन से बेहद कम है। इनकी जरूरत को कंपनी पूरा कर रही है। फ्यूल सप्लाई एग्रिमेंट के तहत कोयला दिया जा रहा है।
सनिष चन्द्र
जनसम्पर्क अधिकारी
एसईसीएल, बिलासपुर
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