क्या है पूरा मामला
मामला रायपुर के पंडरी थाने का है। केस में आरोपी लक्ष्मण उर्फ शक्तिमान ने नाबालिग को जान से मारने की धमकी देकर मारपीट और उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था। जिसके बाद केस में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से उसे जेल भेज दिया। इस दौरान आरोपी ने निचली अदालत में जमानत याचिका लगाई, जहां उसका आवेदन खारिज हो गया। इसके बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत लगाई। जिसकी सुनवाई के दौरान पीड़ित नाबालिग की तरफ से वकील मनोज जायसवाल ने अनापत्ति आवेदन प्रस्तुत किया। जिसे देखकर जस्टिस प्रशांत मिश्रा हैरान रह गए। उन्होंने सवाल किया कि जब पीड़ित नाबालिग है तो आवेदन किसकी तरफ से प्रस्तुत किया गया है और वह कौन है।
जस्टिस प्रशांत मिश्रा हुए नाराजजिसपर शासकीय वकील गगन तिवारी ने स्पष्ट किया कि इस प्रकरण में पीड़ित किशोरी कोई और है। जबकि केस में अन्य युवती जन्नत सोनमोंगरी ने शपथ पत्र देकर अनापत्ति आवेदन दिया है। इसपर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई और मामले की जांच के निर्देश दिए। इसके बाद दोबारा सुनवाई शुरू होने से पहले ही वकील मनोज जायसवाल ने जन्नत सोनमोंगरी का दूसरा शपथपत्र प्रस्तुत किया और अनापत्ति आवेदन वापस लेने का आग्रह किया। इसपर जस्टिस प्रशांत मिश्रा और नाराज हो गए।
इस प्रकरण में जन्नत के दो शपथपत्रों में पिता का नाम भी अलग-अलग था। जिसे कोर्ट ने अवमानना की श्रेणी में लाते हुए रजिस्ट्रार जनरल को शपथकर्ता के खिलाफ अवमानना मामला चलाने के निर्देश दिए। केस में शासकीय वकील गगन तिवारी ने बताया कि मामले में अनापत्ति प्रस्तुत कर वापस लेने वाली युवती को व्यक्तिगत रूप से तलब किया गया है।