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विशेषज्ञों का कहना है कि म्युटेंट हुए वायरस से अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हुई। पहले सप्ताह में औसतन रोजाना 4 हजार केस मिलना शुरू हुए, जो 7 अप्रैल के बाद 10 हजार हो गए। 15 अप्रैल के बाद यह आंकड़ा 15 हजार पहुंच गया। मई में 12 दिनों में 4 बार 15 हजार से ज्यादा केस मिले, लेकिन इसके बाद 10 हजार से कम केस मिलना शुरू हो गए। 1 से 30 अप्रैल के बीच 374896 कोरोना के नए मरीज मिले तथा 4377 की मृत्यु हुई। मई में 242763 नए केस मिले तथा 4467 ने जान गंवाई है। जून में नए केस और संक्रमण से मौत की रफ्तार में कमी आई, जो जुलाई में भी अनवरत जारी है।फिलहाल बस्तर संभाग चिंता का विषय
स्वास्थ्य विभाग के लिए बस्तर संभाग चिंता का विषय बना हुआ है। पिछले कुछ दिनों से यहां पर ज्यादा केस मिल रहे हैं लेकिन मौत नहीं होने से कुछ राहत है। कोरोना की दूसरी लहर जब पीक पर थी तब यहां पर काफी कम केस मिल रहे थे। अप्रैल के मध्य में सिर्फ रायपुर जिले में 3500 और 4000 हजार केस मिल रहे थे, वहीं बस्तर संभाग के सभी जिलों (बस्तर, कोंडगांव, दंतेवाड़ा, सुकमा, कांकेर, नारायणपुर और बीजापुर) को मिलाकर 500 से कम केस मिल रहे थे। जुलाई में सभी जिलों से ज्यादा केस बस्तर संभाग से आ रहे हैं।
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लापरवाही पड़ सकती है भारीविशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण कम हुआ है लेकिन समाप्त नही, इसलिए लोगों को लापरवाही भारी पड़ सकती है। पहली लहर के बाद लोगों ने लापरवाही शुरू कर दी थी, जिसका खमियाजा दूसरी लहर के रूप में भुगतना पड़ा। तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है, लेकिन कोरोना गाइडलाइन का पालन किया जाए तो इसे टाला भी जा सकता है।
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ऐसे कम हुआ आंकड़ा
माह मौत
अप्रैल 4377
मई 4467
जून 391
जुलाई 18