रायपुर

निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस के मरीज कम हुए भर्ती, लेकिन मौतें अधिक

प्रदेश में 1 अगस्त तक कोरोना से 13525 जाने जा चुकी है । इसमें तकरीबन 60 प्रतिशत मौतें 45 साल से अधिक उम्र के लोगों की है । इनमें भी 50-55 प्रतिशत लोगों को कोरोना वायरस के पहले अन्य बीमारियां थी ।

रायपुरAug 03, 2021 / 11:32 am

Karunakant Chaubey

निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस के मरीज कम हुए भर्ती, लेकिन मौतें अधिक

प्रशांत गुप्ता@रायपुर. प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा क्या है, इस पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं । अभी भी सीएमएचओ और स्वास्थ्य विभाग के मौत के रिकॉर्ड में भारी अंतर है । मगर इस बीच एक और चौकाने वाला बड़ा आंकड़ा सामने आया है ।

विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में कम मरीज भर्ती हुए मगर मौतों का प्रतिशत निजी अस्पतालों में कहीं ज्यादा रहा । विधानसभा के मानसून सत्र में एक सवाल के लिखित जवाब में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव द्वारा लिखित में जानकारी दी गई । जिस में उल्लेख है कि 1 जनवरी 2020 से 31 जनवरी 2020 तक सरकारी अस्पतालों में भर्ती कुल मरीजों में 2.6 प्रतिशत मरीजों की मौत हुई, तो वहीं निजी अस्पतालों में 6.3 प्रतिशत की, यानी 3.7 प्रतिशत अधिक ।

वही 1 जनवरी 2021 से 9 जुलाई 2021 तक सरकारी अस्पतालों में 11.8 प्रतिशत मौतें हुई, तो निजी अस्पतालों में यह आंकड़ा 17.3 प्रतिशत तक जा पहुंचा । यानी 5.5 प्रतिशत अधिक। ऐसे में निजी अस्पतालों पर उंगलियां उठना लाजमी है । अप्रैल-मई में निजी अस्पतालों के विरुद्ध कई शिकायतें भी स्वास्थ्य विभाग तक पहुंची । कई अस्पतालों का कोरोना इलाज का अनुबंध समाप्त भी किया गया।

अब तक 13525 मौतें

प्रदेश में 1 अगस्त तक कोरोना से 13525 जाने जा चुकी है । इसमें तकरीबन 60 प्रतिशत मौतें 45 साल से अधिक उम्र के लोगों की है । इनमें भी 50-55 प्रतिशत लोगों को कोरोना वायरस के पहले अन्य बीमारियां थी । उधर स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट यह भी कहती है कि 30 प्रतिशत मौतें भर्ती होने के 24 से 48 घंटे के अंदर अंदर हुई।

अप्रैल से 16 जुलाई तक ऑडिट भी नही हुआ

पड़ताल में यह भी सामने आया कि अप्रैल में जब रोजाना 200 से अधिक जाने जा रही थी । रायपुर में रोजाना 50-60 मरीज दम तोड़ रहे थे । तब निजी अस्पताल सीएमएचओ को मौत की रिपोर्टिंग देरी से कर रहे थे । इतनी मौतों के बीच हर मौत का ऑडिट भी संभव नहीं था । 14 अप्रैल को तत्कालीन ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर सुभाष पांडे की मौत के बाद से तो प्रदेश में डेथ ऑडिट कमिटी की बैठक ही नहीं हुई ।

3 महीने बाद स्वास्थ्य विभाग ने 16 जुलाई को स्टेट ऑडिट कमेटी गठित की । जो रोजाना होने वाली मौतों का उसी दिन ऑडिट कर रही है । उधर केंद्र सरकार ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई । उसके बाद स्वास्थ्य मंत्री सिंह देव के निर्देश पर राज्य में नए सिरे से मौतों के रिकॉर्ड का मिलान हो रहा है।

मरीजों की मौतों का एकमात्र कारण नहीं होगा । कई हो सकते हैं इतना जरूर है कि इस पर गहन शोध की आवश्यकता है, ताकि आगे इलाज की रणनीति बनाई जा सके ।

-डॉक्टर सुभाष मिश्रा

प्रवक्ता एवं संचालक महामारी नियंत्रण कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग

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