बुधवार को जिला और पुलिस प्रशासन के अफसरों के साथ हुई बैठक में सार्वजनिक दशहरा उत्सव समितियों के पदाधिकारियों ने खुद आगे बढ़कर कार्यक्रम नहीं करने की मिसाल पेश कर दी। इस निर्णय का बैठक में मौजूद अफसरों ने खुलकर सराहना की। डब्ल्यूआरएस दशहरा मैदान में ऐसा उत्सव होता था कि ट्रेनों के पहिए थम जाते थे। शहर के सभी जगहों से हजारों की संख्या में लोग सतरंगी आतिशबाजी, रावण, कुंभकरण और मेघनाद के विशालकाय पुत्रों को धू-धूकर जलते हुए देखने पहुंचे थे।
यहां राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत मंत्री और विधायक भी उत्सव में शामिल होते थे, वह कार्यक्रम नहीं होगा। इसी तरह प्राचीन दूधाधारी मठ से भगवान बालाजी की शोभायात्रा नहीं निकलेगी और ऐतिहासिक रावणभाठा मैदान पर रामलीला का मंचन नहीं होगा। इस मैदान पर 150 साल पुरानी परंपरा की केवल रस्में होंगी। इसके साथ ही सप्रेशाला मैदान, बीटीआई मैदान शंकर नगर, नगर समता-चौबे कॉलोनी दशहरा मैदान, छत्तीसगढ़ टिकटरापारा, कोटा और गुड़गांव में भव्य उत्सव मनता था। जो कोरोना की भेंट चढ़ गया है।