स्वास्थ्य विभाग की मानें तो यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में मजदूर और बेरोजगार युवा काम के सिलसिले में आते-जाते रहते हैं। ऐसे में हर व्यक्ति को ढूंढ़ पाना और नजर रख पाना संभव नहीं है। बहरहाल, विभाग हर संभव कोशिश कर रहा है कि जितने ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचकर उनकी जांच की जा सके।
सीमावर्ती जिलों को सबसे ज्यादा खतरा, कैसे?
उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो सबसे ज्यादा खतरा छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिलों को है। क्योंकि बहुत से गांव सीमा पर हैं। बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही होती है। इतना ही नहीं, एक प्रदेश के लोग दूसरे प्रदेश में राशन, इलाज और रोजगार के लिए जाते हैं। जानें किस जिले की सीमा किस पड़ोसी राज्य से लगी हुई है।
– राजनांदगांव, कांकेर और बीजापुर जिसकी सीमा महाराष्ट्र से।
– दुर्ग, बिलासपुर, पेड्रां-गोरिल्ला, बलरामपुर, कवर्धा और कोरिया की सीमा मध्यप्रदेश से।
– बलरामपुर और जशपुर की सीमा झारखंड से।
– बस्तर संभाग के दो जिले सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा आंध्रप्रदेश से।
– गरियाबंद, कोंडागांव, महासमुंद, रायगढ़, जगदलपुर, धमतरी, सुकमा और जशपुर की सीमा ओडिशा से।
महाराष्ट्र से आने वालों से ज्यादा खतरा
देश के ७५ जिलों में कोरोना वायरस के पॉजिटिव मरीज मिलें हैं। इनमें छत्तीगसगढ़ की सीमा से लगे महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्यप्रदेश और ओडिशा प्रमुख रूप से शामिल हैं। महाराष्ट्र में तो सर्वाधिक केस मिल चुके हैं। इसलिए खतरा ज्यादा है।
जरुरत पड़ी तो सबकी जांच करवाई जाएगी- स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पहले ही मांग कर चुके हैं कि कम्प्यूनिटी स्प्रेड को रोकने के लिए सबकी जांच जरूरी है। इसके लिए केंद्र सरकार से साधन-संसाधन उपलब्ध करवाए जाने चाहिए।
3000 की आबादी पर एक एएनएम
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद एएनएम और मितानीन ही हैं। ३००० की आबादी पर एक एएनएम और १ हजार की आबादी पर एक मितानीन है। इनकी रिपोर्टिंग ही कोरोना के खतरे को काफी हद तक कम करने में सहायक होगी।
विदेश से आने वाले लगभग ट्रेस हो गए हैं, जो नहीं हुए हैं इनके नाम जिला कलेक्टरों के माध्यम से सार्वजनिक किए जा चुके हैं। अब चुनौती पड़ोसी राज्यों से आने वालों पर नजर रखने की है। इनसे ही खतरा है। डॉ. धमेंद्र गहवईं, राज्य -नोडल अधिकारी, महामारी नियंत्रण कार्यक्रम, स्वास्थ्य विभाग