मिलेगा खोया अधिकार
बे टी का भी पिता की संपत्ति पर पूरा अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हिंदू महिला के संपत्ति में उत्तराधिकार पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि बिना वसीयत के मरने वाले हिंदू पुरुष की बेटी पिता की स्वअर्जित और उत्तराधिकार में मिले हिस्से की संपत्ति विरासत में पाने की अधिकारी है और बेटी को संपत्ति के उत्तराधिकार में अन्य सहभागियों (पिता के बेटे की बेटी और पिता के भाइयों) से वरीयता होगी। इसके अलावा कोर्ट ने वसीयत के बगैर मरने वाली संतानहीन हिंदू महिला की संपत्ति के उत्तराधिकार पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि ऐसी महिला की संपत्ति उसी मूल स्त्रोत को वापस चली जाएगी जहां से उत्तराधिकार में उसने संपत्ति प्राप्त की थी। सुप्रीम कोर्ट के इस अभूतपूर्व निर्णय से बेटियों को खोया अधिकार मिलेगा, अब जो जरूरतमंद बेटियां है वो इस कानून से अपने आपको सक्षम बना पाएगी, अपने अधिकारों के लिए खड़ी हो पाएगी, बेटियों को आर्थिक सहयोग और सुरक्षा मिलेगी, आज के निर्णय से समाज मे बेटियों को बराबरी का दर्जा प्राप्त होगा । -अंजलि जैन, एडवोकेट
बेटियां भी बेटों की तरह जिम्मेदारी का निर्वहन करें
यह बेहद ही सराहनीय निर्णय है जिसकी समाज मे सन्तुलन बनाने में अहम भूमिका होगी। वास्तविक अर्थ में इससे संविधान की मूल भावना को यथार्थ रूप दिया जा सकेगा जो बराबरी के अधिकार की बात कहता है। साथ ही इससे सम्पत्ति विवादों में कमी आएगी । ये साहसिक निर्णय है । कई बार भाई सम्पत्ति की लालच में बहन से उसकी प्रोपर्टी इमोशनल अत्याचार करके या शातिराना ठंग से हथिया लेते हैं। ऐसे में अब बेटियों के पास उनके उत्तराधिकारी होने का हक़ मिल पाएगा। इसमें बेटे और बेटियों के लिये कोई भेदभाव नहीं है। अब बेटियां भी अपने जीवन में आगे बढ़ पाएंगी । इसमें ये भी समझना होगा कि बेटियां भी अब बेटों की तरह ही अपनी हर जि़म्मेदारी का निर्वहन करे जो बेटे करते हैं ताकि किसी तरह की हीन भावना जागृत न हो ,जैसे अंतिम संस्कार में भी बेटों की तरह ही भूमिका अदा करना । यह महिला सशक्तिकरण के लिये एक सराहनीय कदम है। – भगवान दास गुहा
न्यायालय का स्वागत योग्य फैसला है। माता- पिता के लिए संतान में फर्क नहीं होता फिर भी समानता के आधार पर यह फैसला परिवर्तनकारी व अनुपालनीय है। भारतीय न्याय व्यवस्था को नमन। बेटियों का सम्मान करना हमारा दायित्व है। यह सार्थक पहल है। -रामगोपाल शुक्ला
पीढ़ी लाभान्वित हो सकेगी
मेरी राय यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों का जो दायरा बढ़ा दिया उससे मैं सहमत हूं । क्योंकि किसी भी परिवार के बेटा-बेटी को अपने माता-पिता के द्वारा मिली संपति पर बराबर का अधिकार मिलना चाहिए। किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह एक नई पहल है जिससे आने वाली पीढ़ी लाभान्वित हो सकेगी
-योगिता जीवने, असिस्टेंट प्रोफेसर