‘पत्रिका’ पड़ताल में सामने आया कि इनमें कुछ मौतें सितंबर में हुईं, जो अक्टूबर में जोड़ी गई हैं क्योंकि जिलों ने विलंब से रिपोर्ट दी। चाहे जो भी हो, मगर यह स्पष्ट है कि कोरोना के विरुद्ध लड़ाई अभी जरा भी ढिलाई की गुंजाइश नहीं देती। वहीं, केंद्र सरकार की कोई भी एजेंसी यह नहीं कह रही है कि कोरोना का पीक कब आएगा…। अच्छे संकेत सिर्फ राजधानी रायपुर के लिए फिलहाल दिखाई पड़ रहे हैं, वह इसलिए क्योंकि यहां बीते 8 दिनों में एक दिन भी 24 घंटे में मिले मरीजों की संख्या 400 से अधिक नहीं पहुंची।
डॉक्टर्स बोले- मौतों को कम करने के लिए अब सिर्फ ऑक्सीजन और वेंटिलेटर युक्त बेड की हर कोविड हॉस्पिटल में उपलब्धता हो पहली प्राथमिकता। क्योंकि बिना लक्षण वाले मरीज घर पर ही रह रहे हैं, ठीक भी हो रहे हैं। कोविड केयर सेंटर और अस्पतालों में सामान्य बेड पर्याप्त हैं।
ऐसे समझें अंतर- माह- संक्रमित मरीजों का औसत- मौत का औसत सितंबर (30 दिन में)- 2,658- 21
अक्टूबर (8 दिन में)- 2,626- 25 ( औसत प्रतिदिन पर आधारित है।) 8 दिन का लेखा-जोखा
दुर्ग संभाग में सबसे ज्यादा 37 मौतें- प्रदेश में अब रायपुर से ज्यादा मौतें दुर्ग संभाग में हो रही हैं। दुर्ग में बीते 8 दिनों में 37 जानें जा चुकी हैं, रायपुर संभाग में 30, बिलासपुर में 16, सरगुजा में 4 और बस्तर संभाग में 3 मौतें हुईं।
अक्टूबर में 201 मरीजों की मौत, 20 सिर्फ कोविड से
अक्टूबर के 8 दिनों में 201 मरीजों की मौत हुई। इनमें 20 मरीजों की मौत की वजह सिर्फ और सिर्फ कोरोना था। जबकि शेष 181 मरीजों की मौत के पीछे अन्य वजहें थी। जिनमें व्यक्ति पूर्व से किसी न किसी बीमारी से ग्रसित थे। कुल 10 प्रतिशत मरीजों ने कोरोना से जान गवाईं है।
मृतकों में सांस की समस्या देखी जा रही है। अगर, सही समय पर लक्षण की पहचान हो जाए तो इलाज मिल जाएगा। मौत के आंकड़ों में कमी आएगी। विभाग तो पूरी कोशिश कर रहा है। लोगों को जागरूक होना होगा।
डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग