सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त गुरु पुष्य नक्षत्र, क्योंकि गुरुवार महालक्ष्मी का दिन
शहर के जाने-माने ज्योतिषी एवं वास्तु शास्त्री डॉ. विनीत शर्मा की मानें तो लोग दिवाली के एक सप्ताह पहले से मुहुर्त गणना जानने के लिए बहत उत्सुक रहते हैं। धनतेरस के शुभ अवसर पर खरीदारी का जितना महत्व होता है, उससे कहीं अधिक इस बार गुरु पुष्य नक्षत्र पर विशेष संयोग बनना बहुत ही फलदायी है। यह घड़ी 28 अक्टूबर। कालाष्टमी तिथि। दिन गुरुवार, जो बना रहा है गुरु पुष्य नक्षत्र। इस शुभ मुहूर्त में रहेगा अमृत का योग, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का संयोग।
हर सेक्टर के लिए फलदायी
ज्योतिषी विनीत शर्मा के अनुसार इस तरह के शुभ मुहूर्त हर सेक्टर के लिए विशेष फलदायी होगा। खासकर नया वाहन, मकान, जमीन जैसी प्रॉपर्टी, आभूषण खरीदना हो या अन्य कोई वस्तु खरीदना बहुत ही शुभ माना गया है। तीन महायोग के साथ्ज्ञ ही जात कर्मा, श्रीमंत संस्कार, अन्नप्राशन, बोला रोहन, नवीन व्यवसाय प्रारंभ, खाता बही, क्रय-विक्रय, शल्यक्रिया आदि के लिए अच्छा माना गया है। अर्थात अष्टमी तिथि वैसे भी बहुत ही कल्याणकारी और पक्ष कारी मानी जाती है। गुरु पुष्य नक्षत्र सुबह 9.40 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन शुक्रवार को 11.37 तक रहेगा। इस दिन चंद्रमा अपनी खुद की राशि में विराजमान रहता है।
त्रिपुष्कर योग मनेगी धनतेरस
साल में एक बार महालक्ष्मी के आगमन और पूजन का यह ऐसा समय होता है, जो कि अर्थशास्त्र, अर्थ नीति में गतिशीलता का प्रवाह होता है। धनतेरस पर विशेष संयोग 2 नवंबर, दिन मंगलवार को बन रहा है। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, वैधृति योग में कन्या राशि धनतेरस यानी कि त्रयोदशी का पर्व मनेगा। विशेष होगा त्रिपुष्कर योग जो बाजारों के हर सेक्टर में धनवर्षा होगी। घरों में 13 दीपक जलाकर लक्ष्मी जी को आह्वान करने का यही दिन होता है। लक्ष्मी कुबेर की पूजा का विधान है, क्योंकि इसी तिथि पर आयुर्वेद के जनक धनवंतरि भगवान की पूजा होती है।
इसी के साथ पंच महापर्व
धनतेरस पर जमकर खरीदारी के साथ ही पांच दिनी दिवाली महोत्सव की शुरुआत होती है। 3 नवंबर को रूप चौदस और 4 नवंबर को महालक्ष्मी पूजन है। यानी दिवाली महोत्सव। फिर गोवर्धन पूजा और भाईदूज के त्योहार के साथ समापन होगा।