scriptनिजी अस्पतालों ने बनाया आपदा को अवसर, ओपीडी शुल्क और टेस्ट फीस में मनमानी बढ़ोत्तरी | Doctors increase OPD fee and ask patient for globs and footcover | Patrika News
रायपुर

निजी अस्पतालों ने बनाया आपदा को अवसर, ओपीडी शुल्क और टेस्ट फीस में मनमानी बढ़ोत्तरी

मरीजों की ओपीडी में जांच करने के लिए डॉक्टर ओपीडी शुल्क के अतिरिक्त मरीजों से ही खुद के लिए ग्लब्स और फुटकवर मंगवा रहे हैं। अब सवाल, एक दिन में ओपीडी में अगर 20-25 मरीज आ रहे हैं और हर मरीज से ये सामान मंगवाए जाएंगे, तो क्या डॉक्टर हर बार ग्लब्स और फुटकवर बदलेंगे? जवाब नहीं बदलेंगे।

रायपुरOct 29, 2020 / 03:43 pm

Karunakant Chaubey

रायपुर. कोरोनाकाल में निजी अस्पतालों की मनमानी कर रहे हैं। पहले कोरोना मरीजों को लाखों का बिल थमा रहे थे, फिर कोरोना टेस्ट और उसके बाद सीटी स्कैन के नाम पर मरीज ठगे गए। अब तो डॉक्टरों ने एकाएक अपना ओपीडी शुल्क बढ़ा दिया है।

इतना ही नहीं, मरीजों की ओपीडी में जांच करने के लिए डॉक्टर ओपीडी शुल्क के अतिरिक्त मरीजों से ही खुद के लिए ग्लब्स और फुटकवर मंगवा रहे हैं। अब सवाल, एक दिन में ओपीडी में अगर 20-25 मरीज आ रहे हैं और हर मरीज से ये सामान मंगवाए जाएंगे, तो क्या डॉक्टर हर बार ग्लब्स और फुटकवर बदलेंगे? जवाब नहीं बदलेंगे।

दूसरी लहर का डर: त्यौहार बाद बिगड़ सकते हैं हालात, 80 प्रति. कोरोना मरीजों में लक्षण ही नहीं थे

राजधानी रायपुर में इससे पहले कभी भी इस तरह का चलन नहीं था। मगर, कोरोना काल में निजी अस्पतालों ने यह शुरू कर दिया। जो मरीजों पर अतिरिक्त आर्थिक भार डाल रहा है। ‘पत्रिका’ को कुछ मरीजों ने फोन कर बताया कि ओपीडी में डॉक्टरों ने हाथ तक नहीं। आमने-सामने बैठकर मर्ज नहीं पूछा। बाहर रखे टेलीफोन से बात की। लेकिन शुल्क पूरा लिया।

डॉक्टर, मरीज तक नहीं देख रहे-

कोरोना का डर कुछ डॉक्टरों को इतना है कि वे मरीज तक नहीं देख रहे। अस्पताल बंद कर दिए हैं या फिर स्टाफ के भरोसे संचालित कर रहे हैं। जबकि मरीज का उपचार पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

केस-1

रीता सिंह (परिवर्तित नाम)- मल द्वार में रक्त रिसाव की समस्या को लेकर शंकरनगर स्थित एक निजी अस्पताल में गई। जहां डॉक्टर ने मुझसे ओपीडी में रखे फोन पर बात की। ग्लब्स और फुटकवर के लिए 140 रुपए ओपीडी शुल्क 900 रुपए के अतिरिक्त भुगतान किए गए। पहले मुझे लगा कि ग्लब्स और फुटकवर मुझे पहनने होंगे, मगर नर्स ने कहा- ये डॉक्टर मैडम के लिए हैं।

केस-2

श्याम कुमार (परिवर्तित नाम)- मैंने अपने पिताजी को रायपुर स्थिति एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया था। उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। मुझे 8 दिन के इलाज का 2 लाख रुपए भुगतान करना पड़ा। मैंने जिला प्रशासन से शिकायत की, जिसके बाद अतिरिक्त शुल्क 35 हजार रुपए वापस करवाए गए।

रेमेडिसीविर का प्रोटोकॉल नहीं- आंबेडकर अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. आरके पंडा कहते हैं कि रेमेडिसीविर कोरोना के गंभीर मरीजों को दी जानी है, जिनकी स्थिति में 5 दिन में सुधार नहीं दिख रहा है। सरकारी अस्पताल में यह नि:शुल्क है। मगर निजी अस्पतालों में एक डोज का 5,400 रुपए तय है। 6 डोज लगने हैं। इसका भी काफी ज्यादा इस्तेमाल किया गया, क्योंकि इसका कोई प्रोटोकाल ही नहीं है।-

महत्वपूर्ण बदलाव-

इस मामलों पर सरकार को करना पड़ा था हस्तक्षेप

1- इलाज की दरें-

मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते सरकार को निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज की अनुमति जारी करनी पड़ी। मगर, अस्पतालों ने मनमाना शुल्क वसूलना शुरू कर दिया। जिसके बाद सरकार ने सुविधाओं के आधार पर जिलों को 3 केटेगरी में बांट दिया। रायपुर के ही कुछ अस्पतालों ने इसके बाद भी मनमाने शुल्क वसूलने की शिकायतें पहुंची तो जिला कलेक्टर ने अस्पतालों में प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त कर दिए।

2- कोरोना जांच की दरें-

अगस्त में कोरोना मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ। सरकारी कोविड-19 जांच केंद्रों में लंबी कतारें और रिपोर्ट आने में 3 दिन से अधिक समय लगने लगा था। संग्दिधों ने निजी अस्पतालों और लैब का रूख करना शुरू कर दिया। यहां पूर्व में आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए 4,500 रुपए निर्धारित किए गए थे। जिन्हें घटाकर 2,450 रुपए किया गया। 10 सितंबर के करीब सरकार ने 2,450 रुपए को 1,600 रुपए कर दिया। एंटीजन टेस्ट के लिए 900 रुपए निर्धारित कर दिए।

3- सीटी स्कैन की दर-

निजी अस्पताल के डॉक्टर कोरोना टेस्ट के पहले धडल्ले से मरीजों के फेफड़ों का सीटी स्कैन प्रिस्क्राइव कर रहे थे। ऐसा भ्रम भी फैला कि मरीज खुद से सीटी स्कैन करवाने जाने लगे। डायग्नोसिस सेंटर ने इसकी दरें बढ़ा दीं। 5 हजार रुपए तक शुल्क लिया जाने लगा। सरकार ने सीटी चेस्ट विदाउट कांट्रास्ट फॉर लंग्स 1,850 रुपए व विद कांट्रास्ट 2,354 रुपए निर्धारित कर दिए। प्रदेश में अनावश्यक जांच पर रोक भी लगा दी।

ग्लब्स और फुटकवर मरीजों को पहनने के लिए मंगवा रहे हैं तो ठीक, इसका भी उल्लेख होना चाहिए। मगर, डॉक्टर खुद के लिए मंगवा रहे हैं उचित नहीं, न व्यावहारिक है। यह बात बैठक में रखी जाएगी।

-डॉ. राकेश गुप्ता, अध्यक्ष, हॉस्पिटल बोर्ड

डॉक्टर और मरीजों दोनों की सुरक्षा की बात है, इसलिए अतिरिक्त सावधानी बरती जाती है। वैसे भी अस्पतालों में कई चीजों की कीमतें बढ़ गई हैं। अब प्राइज कंट्रोल जैसी कोई चीज नहीं हैं, न पहले कभी ध्यान दिया गया।

-डॉ. महेश सिन्हा, इलेक्टेड प्रेसीडेंट, आईएमए छत्तीसगढ़

ये भी पढ़ें: अगले 4 माह की चुनौती: प्रदूषण से अस्थमा, ठंड से हृदयरोग और इस साल कोरोना महामारी है सब पर भारी

Home / Raipur / निजी अस्पतालों ने बनाया आपदा को अवसर, ओपीडी शुल्क और टेस्ट फीस में मनमानी बढ़ोत्तरी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो