देर होती तो बचना था मुश्किल
डॉ. साहू ने बताया, कि मरीज को पिछले 6 माह से इस तरह की शिकायत थी, जो कि लगातार धीरे-धीरे बढ़ रहा था। ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने पाया, कि उसका ट्यूमर छाती औ फेफड़े से चिपका हुआ था और धीरे-धीरे दिल के ऊपर दबाव बना रहा था। साथ ही तंत्रिका तंत्र भी पर भी इसकी पकड़ बनती जा रही थी। ऐसे में डॉक्टरों के अनुसार कुछ माह और यह रहता तो, निश्चित रूप से उसके दिल का फंक्शन प्रभावित होता और धीरे-धीरे वह काम करना बंद कर देता। वहीं, उसके बांए हिस्से में पैरालिसिस भी हो सकता था, जिससे उसकी स्थिति साल भर के अंदर खराब हो जाती।
एसीआई का तीसरा केस
एसीआई अस्पताल में यह अपनी तरह का तीसरा केस है। जिसका ऑपरेशन गिनती के निजी अस्पतालों में होता है, वहीं इसके लिए वहां के खर्च का अनुमान लगभग 3-4 लाख आने का लगाया जा रहा है। वहीं, एसीआई में यह ऑपरेशन नॉमिनल खर्च में ही कर लिया गया। इससे पूर्व यहां इसी तरह से एक मरीज का चार माह पूर्व 5 किलो, लगभग 20 दिनों पूर्व 2.5 किलो का ट्यूमर निकाला जा चुका है।