अब तक हो चुका इतना काम
बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया, कि अब तक प्रदेश में 1 लाख 80 हजार ट्रंासफारमर है। इनमें से 856 ट्रांसफारमर बदले जा चुके है। ट्रंासफारमों की जांच जारी है, जो ट्रांसफार पूरी तरह से खराब है, उन्हीं बदलने की प्रक्रिया की जा रही है। 33 केवी की लाइन 22 हजार 572 किमी है। इसकी जांच और बदलने की प्रक्रिया जारी है। 11 केवी की लाइन 1 लाख 13 हजार 255 किमी है। इसकी भी जांच विभागीय कर्मचारियों द्वारा की गई, और आवश्यकता पडऩे पर उनमें बदलाव किया गया है। विभागीय कर्मचारियों ने प्री-मानूसन सत्र के तहत 1 लाख 12 हजार 395 कि मी की एलटी लाइन की जांच की है। जिस जगह लाइन फाल्ट मिली, उसे कर्मचारियों द्वारा दुरुस्त किया गया है।
12 करोड़ 80 लाख का मेंटीनेंस बजट
बिजली कंपनी के अधिकारियों ने पत्रिका से चर्चा के दौरान बताया, कि मेंटीनेंस के लिए हर संभाग को 20 लाख रुपए सालाना दिया जाता है। प्रदेश में ६४ संभाग है। इन्हें साल भर ट्रांसफारमर और लाइन का मेंटीनेंस करने के लिए 12 करोड़ 80 लाख का बजट जारी किया गया है। डीविजन में खर्च के हिसाब से और अधिकारियों की मांग पर बजट को कम और ज्यादा किया जाता है।
फैक्ट फाइल
मैक्सिमम डिमांड- 4640
ट्रांसफारमर- 1 लाख 80 हजार
उपभोक्ताओं की संख्या- 57 लाख 42 हजार 934
एग्रीकल्चर पंप- 4 लाख 43 हजार 424
बीपीएल कनेक्शन- 19 लाख 65 हजार 482
इलेक्ट्रिफाइड गांव- 19 हजार 567
प्रदेश में प्री-मानसून मेंटीनेंस के तहत लाइन और ट्रांसफारमर को मेंटीनेंस करने का काम किया जा रहा है। प्रदेश के 856 खराब हो चुके ट्रांसफारमरों को अब तक बदला जा चुका है। संभागवार प्रतिवर्ष 20 लाख रुपए मेंटीनेंस के लिए जारी किया जाता है और इसी से पूरे वर्ष कर्मियों द्वारा मेंटीनेंस किया जाता है।
-एपी सिंह, चीफ इंजीनियर
बिजली विभाग