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रायपुर

गणेश विश्राम गृह की दीवार तोड़कर जंगल की ओर भाग निकला

– वन विभाग को 2 सप्ताह के अंतर जवाब देने के लिए आदेशित किया
– 23 जुलाई को 100 घंटे की मशक्कत के बाद ट्रेंकूलाइज के बाद गणेश हाथी को पकड़ा गया था

रायपुरJul 25, 2019 / 07:49 pm

Dinesh Yadu

Elephant breaks the wall of rest house and runs out in the woods

गणेश विश्राम गृह के दीवार तोड़कर जंगल में तरफ भाग निकला

रायपुर. वनविभाग के चंगुल से गणेश हाथी भाग निकला । करीब 12 लोगों पर हमला कर चुके जिस गणेश हाथी को वन अमला ने पकड़कर अपनी पीठ थपथपा रहा था, यह वाहवाही के कुछ घंटे बाद ही गणेश ने खुद को वन अफसरों कैंद से आजाद कर लिया है।हाथी ने विश्रामगृह के दीवार तोड़कर खेतों के रास्ते जंगल में भाग निकला । हाथी के भागने पर अधिकारियों की दलील है कि गणेश हाथी बेकाबू होता जा रहा था, लिहाजा उसे आजाद करना जरूरी था, नहीं तो वो और भी हमलावर हो सकता था।
जानकारी के मुताबिक गणेश हाथी को काबू करने के लिए तीन कुमकी हाथी को लाया गया था। लेकिन वन विभाग के अफसरों ने बुधवार की देर शाम कुमकी हाथी को भेज दिया, जिसके बाद से गणेश ज्यादा उग्र हो गया।जिस मिशन को वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ अतुल शुक्ला की अगुवाई में इतनी मशक्कत के बाद कामयाब बनाया गया था, अफसरों की लापरवाही से वो नाकाम हो गया। आपको बता दें कि 23 जुलाई को 100 घंटे की मशक्कत के बाद ट्रेंकूलाइज के बाद गणेश हाथी को पकड़ा गया था, खुद पीसीसीएफ इस पूरे आपरेशन पर नजर रखे हुए थे। फैसला ये किया गया था कि गणेश को तत्काल पकडऩे के बाद तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर ले जाया जायेगा, लेकिन अफसरों की लापरवाही और लेटलतीफी के कारण हाथी बेकाबू हो गया।
खबर है कि पहले गणेश को एक ट्रक पर चढ़ाया गया और फिर होश में हाने के बाद उतार दिया गया। बाद में ट्रेकूलाइज कर फिर से गणेश को एक अन्य ट्रक में चढ़ाने की कोशिश की गयी, लेकिन गणेश हाथी इस दौरान बेकाबू हो गया। हाथी ने जमकर तबाही मचायी और वन अमले के काबू से भाग गया। हाथी को कॉलर आईडी लगा हुआ है, लिहाजा उसका लोकेशन तो मिल रहा है, लेकिन वो अभी भी पकड़ से दूर है। इधर अफसरों का कहना है कि जल्द-जल्द बेहोशी दिये जाने का उस पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।
पीपल फॉर एनिमल के सदस्य कहते है

कस्तूरी बलाल ने बताया की वन विभाग की लापरवाही से गणेश हाथी जिसे 23 तारीख को कोरबा के जंगल में ट्रेंकुलाइज कर बंधक बनाया गया था, 30 घंटे बाद 24 तारीख की देर रात को चेन तोड़ाकर चेन सहित चला गया है।बलाल ने आरोप लगाया की गणेश का जीवन वनविभाग की अनुभवहीनता और नासमझी से बर्बाद हो रहा है, पहले उसे पकड़कर तमोर स्थित रेस्क्यू सेंटर में बंधक रखने का लिखित आदेश जारी किया गया।बाद में उसे बंधक बनाकर रखने के बाद छत्तीसगढ़ का वन विभाग, विशेषज्ञों से यह राय लेने गया की गणेश का क्या किया जाए? और इस दौरान राय लेते लेते 30 घंटे गुजर गए इस बीच में उसे सेडेशन की स्थिति में रखा गया।बलाल ने बताया कि विशेषज्ञों ने कल 24 तारीख को ही राय दे दी थी । कि उसे तत्काल उसके वर्तमान रहवास क्षेत्र से बाहर दूर किसी अन्य हाथी रहवास क्षेत्र वाले वन मैं विस्थापित किया जावे. बलाल ने बताया कि यही विशेषज्ञों से राय लेने का कार्य अगर हाथी पकडऩे के आदेश जारी करने के पहले ले लिया जाता तो गणेश की स्थिति ऐसी नहीं होता।
कोर्ट ने लिया संज्ञान, विभाग से मांगा जवाब

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में आज गणेश हाथी को लेकर याचिका दायर की गई.याचिकाकर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की तरफ से बताया गया कि गणेश नामक हाथी को 23 जुलाई को पकड़ा गया था जो कि कल 24 जुलाई की देर रात को चेन तोड़ के चला गया है। उसके पांव में चेन बंधी होने के कारण तकलीफ में है। इस पर माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की माननीय मुख्य न्यायाधीश तथा न्यायमूर्ति पी पी साहू साहू की युगल पीठ ने आदेशित किया
याचिका द्वारा वन विभाग द्वारा पूर्व में भी सोनू नामक हाथी को बंधक बनाकर रखा गया जिसे माननीय न्यायालय ने वन में पुनर्वास करने के आदेश देने के बावजूद भी पिछले 4 वर्षों में उसे पुनर्वासी करने के लिए वन विभाग ने कोई प्रयत्न नहीं किया है।प्रकरण में वन विभाग को 2 सप्ताह के अंतर जवाब देने के लिए आदेशित किया

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