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रायपुर

छत्तीसगढ़ में न हो यूपी जैसे रेल हादसे इसलिए बदली जाएंगी खराब पटरियां

लगातार हो रही ट्रेन दुर्घटनाओं को लेकर रेलवे प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। इसका प्रभाव रायपुर रेल मंडल में भी देखा जा रहा है।

रायपुरSep 09, 2017 / 09:41 pm

Ashish Gupta

rail accidents

छत्तीसगढ़ में न हो यूपी जैसे रेल हादसे इसलिए बदली जाएगी खराब पटरियां

रायपुर. लगातार हो रही ट्रेन दुर्घटनाओं को लेकर रेलवे प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। इसका प्रभाव रायपुर रेल मंडल में भी देखा जा रहा है। क्योंकि इस डिवीजन में भी कई बार ट्रेन दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। रेलवे ने उन सभी सेक्शन की खराब रेल पटरियों को बदलना तय किया है, जहां पटरी खराब होने के कारण दुर्घटना होने का अंदेशा है। वहीं अगले साल तक सभी मानवरहित क्रासिंग समाप्त करने का टारगेट है। मानव रहित लेवल क्रासिंग पर 2016-17 में 34 प्रतिशत दुर्घटनाओं का आंकड़ा सामने आया है।
नए रेल एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने अभी हाल ही में रेलवे बोर्ड के आला अफसरों के साथ रेल दुर्घटना को लेकर जो विश्लेषण किया है, उससे यह साफ हो चुका है कि खराब पटरी और मानवरहित क्रासिंग के कारण ही ट्रेनें बेपटरी हो रही हैं। जो रेल दुर्घटना का मुख्य कारण हैं। बैठक में दुर्घटना रोकने के लिए जो खाका तैयार किया गया है, उसे बिलासपुर रेलवे जोन को भी भेजा गया है।
दुर्घटना के दो प्रमुख कारण
रेलवे बोर्ड में हुई बैठक में रेल दुर्घटना के दो प्रमुख कारणों की पहचान की गई है।
– पहला, मानव रहित लेवल क्रासिंग और दूसरा, पटरियों में खराबी के कारण ट्रेन पटरी से उतरना।
अब क्या होगा
रेल दुर्घटना रोकने के लिए अब स्पीड, स्किल एवं स्केल के तहत एक वर्ष के भीतर काम करने का लक्ष्य दिया गया है। रायपुर रेल मंडल के अफसरों का दावा है कि बिलासपुर-रायपुर रेल लाइन में एक भी मानवरहित क्रासिंग नहीं हैं। जबकि दुर्ग-दल्लीराजहरा और लखौली व धमतरी रेल लाइन में 31 क्रासिंग मानवरहित हैं।
कई बार दुर्घटनाएं हुईं
रायपुर रेल डिवीजन में भी कई साल पुराने रेल लाइन पर ट्रेनें दौड़ रही हैं। माना जाता है कि १० से १२ सालों में रेल पटरी बदलने लायक हो जाती है, फिर भी उससे काम चलाया जाता है। पटरी खराब होने के कारण पिछले साल उरकुरा, सिलयारी सेक्शन, कुम्हारी, भाटापारा सेक्शन में मालगाड़ी के अलावा यात्री ट्रेनें बेपटरी हो चुकी हैं।
12 किमी रेल लाइन बदलने लायक
रायपुर रेल मंडल के अंतर्गत 650 किमी रेल लाइन है। भिलाई डी और ए केबिन की १२ किलोमीटर रेल लाइन खराब है। अफसरों का कहना है कि इस दायरे की लाइन को बदलने का काम शुरू हो चुका है। हर सेक्शन में मेंटेनेंस लगातार कराया जा रहा है। रायपुर-बिलासपुर मुख्य रेल लाइन की पटरियां बदली जा चुकी हैं।
रेलवे बोर्ड को गाइड लाइन तय

– रेलवे क्रासिंग समाप्त करने का लक्ष्य तीन साल रखा था, जिसे अब एक साल के अंदर करना है।

– जिन स्थानों को नई रेलवे लाइन बिछाने के लिए चिह्नित किया गया है, उन स्थानों से रेल की पटरियों को स्थानांतरित करके उन स्थानों/खंडों पर इस्तेमाल करना है, जो दुर्घटना की दृष्टि से संवदेनशील हैं।
-नई पटरियां खरीदने के कार्य में बड़े पैमाने पर तेजी लाना होगा।

-परम्परागत आईसीएफ डिजाइन कोच का निर्माण बंद कर केवल नए डिजाइन के एलएचबी कोच बनाने होंगे।

– इंजनों में कोहरा रोधक एलईडी लाइटें लगानी होगी, ताकि कोहरे के मौसम के दौरान ट्रेनों का संचालन सुरक्षित तरीके से हो सके।
पटरी बदलने का पैमाना तय है
जनसंपर्क अधिकारी रेलवे तन्यमय मुखोपाध्याय ने कहा कि रेल संरक्षा को लेकर मैदानी स्तर पर पैनी नजर रखी जा रही है। रायपुर रेल डिवीजन की मानवरहित क्रासिंग बंद होंगी। भिलाई डी केबिन की १२ किमी पटरी बदली जा रही है। जहां तक १०-१२ साल में पटरी खराब हो जाने का सवाल है तो एेसा नहीं है। पटरी की क्षमता का पैमान ग्रास मिलियन टन (जीएमटी) से तय होती है। उसी से खराब होने का आकलन किया जाता है।

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