रेलवे बोर्ड में हुई बैठक में रेल दुर्घटना के दो प्रमुख कारणों की पहचान की गई है।
– पहला, मानव रहित लेवल क्रासिंग और दूसरा, पटरियों में खराबी के कारण ट्रेन पटरी से उतरना।
रेल दुर्घटना रोकने के लिए अब स्पीड, स्किल एवं स्केल के तहत एक वर्ष के भीतर काम करने का लक्ष्य दिया गया है। रायपुर रेल मंडल के अफसरों का दावा है कि बिलासपुर-रायपुर रेल लाइन में एक भी मानवरहित क्रासिंग नहीं हैं। जबकि दुर्ग-दल्लीराजहरा और लखौली व धमतरी रेल लाइन में 31 क्रासिंग मानवरहित हैं।
रायपुर रेल डिवीजन में भी कई साल पुराने रेल लाइन पर ट्रेनें दौड़ रही हैं। माना जाता है कि १० से १२ सालों में रेल पटरी बदलने लायक हो जाती है, फिर भी उससे काम चलाया जाता है। पटरी खराब होने के कारण पिछले साल उरकुरा, सिलयारी सेक्शन, कुम्हारी, भाटापारा सेक्शन में मालगाड़ी के अलावा यात्री ट्रेनें बेपटरी हो चुकी हैं।
रायपुर रेल मंडल के अंतर्गत 650 किमी रेल लाइन है। भिलाई डी और ए केबिन की १२ किलोमीटर रेल लाइन खराब है। अफसरों का कहना है कि इस दायरे की लाइन को बदलने का काम शुरू हो चुका है। हर सेक्शन में मेंटेनेंस लगातार कराया जा रहा है। रायपुर-बिलासपुर मुख्य रेल लाइन की पटरियां बदली जा चुकी हैं।
जनसंपर्क अधिकारी रेलवे तन्यमय मुखोपाध्याय ने कहा कि रेल संरक्षा को लेकर मैदानी स्तर पर पैनी नजर रखी जा रही है। रायपुर रेल डिवीजन की मानवरहित क्रासिंग बंद होंगी। भिलाई डी केबिन की १२ किमी पटरी बदली जा रही है। जहां तक १०-१२ साल में पटरी खराब हो जाने का सवाल है तो एेसा नहीं है। पटरी की क्षमता का पैमान ग्रास मिलियन टन (जीएमटी) से तय होती है। उसी से खराब होने का आकलन किया जाता है।