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रायपुर

पूर्व गृहमंत्री पैकरा बोले- नान घोटाले को लेकर अधिकारियों ने कभी नहीं की मुझसे बात

पूर्व गृहमंत्री पैकरा ने ‘पत्रिका’ से कहा है कि ‘नान घोटाले को लेकर एसीबी के अधिकारियों ने मुझसे कभी कोई चर्चा नहीं की

रायपुरJan 07, 2019 / 06:07 pm

चंदू निर्मलकर

Chhattisgarh news

पूर्व गृहमंत्री पैकरा बोले- नान घोटाले को लेकर अधिकारियों ने कभी नहीं की मुझसे बात

रायपुर. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले की जांच में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा जमकर मनमानी की गई है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (इओडब्ल्यू) और एसीबी ने भी इसकी विवेचना में कमी होना स्वीकार किया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने शासन को पत्र लिखकर कहा है कि इस मामले में विधिसम्मत राय लेकर जांच करने की आवश्यकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल में सामने आए इस घोटाले की जड़ें किस कदर मजबूत थी, इसका अंदाजा उसी सरकार में गृहमंत्री रहे रामसेवक पैकरा के बयान से लगाया जा सकता है। पूर्व गृहमंत्री पैकरा ने ‘पत्रिका’ से कहा है कि ‘नान घोटाले को लेकर एसीबी के अधिकारियों ने मुझसे कभी कोई चर्चा नहीं की। मैंने खुद भी घोटाले की डायरी का कोई पन्ना कभी नहीं देखा।’ इस बीच जानकारी मिली है कि छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा एसआइटी के गठन के तत्काल बाद जेल में बंद नान के पूर्व प्रबंधक शिवशंकर भट्ट को फिर से रिमांड पर लिया जा सकता है।

जिनसे हुई लाखों की बरामदगी, उनको दे दी क्लीनचिट
नान घोटाले की जांच में खामियों का अंदाजा इससे लगता है कि गिरीश शर्मा, त्रिनाथ रेड्डी, के.के. बारीक, जीतराम यादव, अरविन्द ध्रुव समेत अन्य आरोपियों के पास से लाखों की नकदी बरामद होने के बावजूद किसी पर भी आय से अधिक संपत्ति मामले में कोई जांच नहीं की गई। गिरीश शर्मा के कंप्यूटर से प्राप्त प्रिंटआउट की कोई भी विवेचना नहीं की गई, जिसमें कई प्रभावशाली व्यक्तियों को रिश्वत की राशि देने का उल्लेख था। एसीबी ने न तो गिरीश शर्मा के कंप्यूटर हार्डडिस्क को जब्त किया न ही उन्हें मुलजिम बनाया, जबकि उसके चेंबर से 20 लाख रुपए बरामद किए गए थे।

केंद्र सरकार को नहीं भेजा जवाब
केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने 22 जून 2017 को मुख्य सचिव से नान के प्रबंध निदेशक अनिल टुटेजा से संबंधित दस्तावेज मंगाए थे। खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग ने 16 अक्टूबर 2017 को जीएडी के सचिव को पत्र लिखकर कहा कि राज्य में कोई पीडीएस स्कैम नहीं हुआ है।

18 साल का घोटाला, जांच केवल 8 माह की
‘पत्रिका’ को जो नए दस्तावेज मिले हैं उनसे पता चलता है कि पूर्ववर्ती रमन सरकार में एसीबी द्वारा नान में केवल आठ महीनों के लेन-देन की जांच की गई थी। जबकि कहा यह जाता रहा कि नान में छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद से ही घोटाला शुरू हो गया था। डायरी के नए पन्नों में दर्ज एंट्री से पता चलता है कि पैसों का लेन-देन वर्ष 2013 या उससे पहले हुआ। जबकि एसीबी ने पुलिस मुख्यालय को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि उसने जून 2014 से 2015 की अवधि की जांच की है। इसके पहले की अवधि को जांच में शामिल नहीं किया गया है। दिलचस्प यह है कि जिस अवधि में एसीबी ने घोटाले की जांच की है, उस दौरान नान लगभग 3 करोड़ 18 लाख रुपयों के फायदे में रही है।

संभावना है कि अगले 24 घंटे में एसआइटी का गठन कर लिया जाए। इसके तत्काल बाद हम जांच की योजना बनाएंगे और हर बिंदु पर जांच की जाएगी।
डी.एम. अवस्थी, डीजीपी

नान घोटाले को लेकर मुझे कभी कोई जानकारी नहीं दी गई और न मैंने इससे कोई मतलब रखा। यह जरूर था कि पूर्व एसीबी प्रमुख अन्य कार्यों के लिए मुझसे मिलते थे।
रामसेवक पैकरा, पूर्व गृहमंत्री

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