scriptबस्तर के घने जंगलों में नक्सलियों का डर, वन विभाग ड्रोन से कर रहा बाघों की गिनती | Fear of Naxalites in the dense forests of Bastar, drone tigers count | Patrika News
रायपुर

बस्तर के घने जंगलों में नक्सलियों का डर, वन विभाग ड्रोन से कर रहा बाघों की गिनती

ट्रैप कैमरे और स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के आधार तैयार होगी रिपोर्ट

रायपुरOct 25, 2021 / 04:59 pm

CG Desk

Tiger hunt: Search for T23 extended to more areas

Tiger hunt: Search for T23 extended to more areas

रायपुर. नक्सलियों के डर से वन विभाग बस्तर में बाघों की गणना का काम ड्रोन से करेगा। इसके लिए करीब 7 ड्रोन किराए से लेने की तैयारी चल रही है। ड्रोन के जरिए इंद्रावती टाइगर रिजर्व में बाघ के मूवमेंट वाले स्थान और जलाशय के आसपास के इलाकों पर टीम की नजर रहेगी। इसके लिए स्थानीय निवासियों और ट्रैप कैमरे की मदद ली जाएगी। इससे मिले इनपुट के आधार पर बाघों के पगमार्ग के निशान, संख्या और पहचान को चिन्हांकित किया जाएगा।

बता दें कि प्रत्येक 3 वर्ष में होने वाली गणना का काम 15 सितंबर 2021 से शुरू किया जाना था। लेकिन, लगातार हो रही बारिश के चलते गणना अब तक शुरू नहीं हो पाई है। जबकि राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण (एनटीसीए) को जनवरी 2021 प्राथमिक रिपोर्ट जमा करना है।

राज्य में बचे मात्र 19 बाघ
राज्य में 2019 में हुए गणना के अनुसार इस समय जंगल में मात्र 19 बाघ ही बचे हुए है। 2021 में गणना शुरू करने से पहले वन विभाग के अधिकारियों ने उनकी संख्या में इजाफा हुआ है। इस समय अभयारण्य, राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व में 25 बाघ होने की संभावना जता रहे है। हालांकि वन्य जीव प्रेमियों का कहना है कि 21 फरवरी 2019 को डिडौरी, 8 दिसंबर 2019 को कांकेर, 24 मार्च 2021 को धमतरी और 12 मार्च 2021 को बस्तर में बाघ की खाल मिलने से इसकी संख्या और कम हो सकती है। बता दें कि राज्य सरकार बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रतिवर्ष करीब 100 करोड़ रुपए आवंटित कर रहा है। वहीं बाघों की सुरक्षा करने एनटीसीए द्वारा अलग से राशि जारी की जाती है।

 

स्थानीय निवासियों का सहारा
बस्तर में रहने वाले स्थानीय निवासियों से जानकारी एकत्रित कर उनके साथ टीम को भेजा जाएगा। वहीं जल्दी ही ट्रैप कैमरे भी लगाने के निर्देश स्थानीय अधिकारियों को दिए गए है। ताकि बाघों की फोटग्राफ से उनकी पहचान की जा सके।

 

पहली बार होगी इन तरह गणना
नक्सलियों की उपस्थिति के चलते अब तक बस्तर में बाघों की गणना का काम जमीनी स्तर पर नहीं किया गया है। यह पहला मौका होगा जब टीम ड्रोन और स्थानीय निवासियों के सहारे बाघ की तलाश होगी। साथ ही जंगल के संभावित खतरों का सामना करेंगे। बता दें कि वनविभाग की टीम फोटो खींचकर एम स्ट्रीप ऐप में अपलोड करेंगे। इसके बाद तय एरिया में जाकर बाघों के स्कैट के साथ पंजे के निशान, पेड़ों में खरोंच के निशान के फोटो खींचेंगे। साथ ही अक्षांस-देशांस, समय और दिन का उल्लेख किया जाएगा। इसकी जांच एनटीसीए द्वारा होगी।

जल्द होगी गणना
बारिश और जंगल के भीतर की स्थिति को देखते हुए बाघों की गणना का काम 25 अक्टूबर से शुरू किया जाएगा। विभाग अपनी तैयारी पूरी करने के बाद हालात के सामान्य होने का इंतजार कर रहा था।

– पीवी नरसिंह राव, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ

प्रदेश में 3 टाइगर रिजर्व
राज्य में कुल 3 टाइगर रिजर्व है। इसमें गारियाबंद जिला स्थित सीतानदी-उदंती, मुंगेली में अचानकमार और बस्तर स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व है। वहीं बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला अभयारण्य को मिलाकर चौथा टाइगर रिजर्व बनाने के अनुमति मिली है।

Home / Raipur / बस्तर के घने जंगलों में नक्सलियों का डर, वन विभाग ड्रोन से कर रहा बाघों की गिनती

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो