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रायपुर

किसान धान बेचने बाजार आ रहे, लेेकिन खरीदार नहीं मिलने से लौट रहे मायूस

किसान साप्ताहिक बाजारों व अस्थायी दुकानदारों के पास अपनी उपज बेचने पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें खरीदार नहीं मिल रहे हैं।

रायपुरNov 28, 2019 / 12:00 am

ashok trivedi

किसान धान बेचने बाजार आ रहे, लेेकिन खरीदार नहीं मिलने से लौट रहे मायूस

किसान धान बेचने बाजार आ रहे, लेेकिन खरीदार नहीं मिलने से लौट रहे मायूस

किसान धान बेचने बाजार आ रहे, लेेकिन खरीदार नहीं मिलने से लौट रहे मायूस

छुरा. राज्य सरकार ने इस बार धान खरीदी की तिथि एक माह आगे बढ़ा दी है। हर बार धान खरीदी 1 नवंबर से होती थी जो इस बार 1 दिसंबर से होगी। इसी बीच किसान साप्ताहिक बाजारों व अस्थायी दुकानदारों के पास अपनी उपज बेचने पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें खरीदार नहीं मिल रहे हैं। प्रशासन की सख्ती के चलते दुकानदार धान नहीं खरीद रहे हैं। प्रशासन लगातार साप्ताहिक बाजार व दुकानों में पहुंचकर धान की धरपकड़ कर रहा है। इससे व्यापारी धान खरीदी करने से कतरा रहे हैं। इस तरह किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है।
छुरा से 17 किलोमीटर दूर ग्राम रसेला के बाजार में किसान मोटरसाइकिल, साइकिल या सिर धान की बोरी लेकर बेचने पहुंचे थे। लेकिन खरीदार नहीं मिलने पर वे मायूस होकर धान लेकर वापस लौट गए। धान नहीं बिकने से किसान अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। बुधवार सुबह से ही धान व्यापारियों की दुकानें तो खुली थी, लेकिन उन्होंने अपनी दुकानों पर धान खरीदी बंद होने का बोर्ड लगा रखा था। मंगलवार को क्षेत्र के मुड़ागांव व खंडमा के व्यापारी के यहां धान पकड़े जाने की खबर सुनकर आसपास के सभी व्यापारियों ने धान खरीदी बंद कर दी है। यह खबर सुनकर किसानों में भी मायूसी की लहर छा गई है। धान व्यापारियों की माने तो जिन व्यापारियों का धान प्रशासन द्वारा पकड़ा गया है उनके पास नियमानुसार टैक्स की रसीद मौजूद थी। उसके बाद भी प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई है। जिसके विरोध स्वरूप क्षेत्र के धान व्यापारियों ने धान की खरीदी बंद कर दी है।
व्यापारियों ने की अनिश्चितकालीन धान खरीदी बंद
छुरा प्रशासन द्वारा धान व्यापारियों के खिलाफ की जा रहे कार्यवाही के विरोध में धान व्यापारियों ने बुधवार से अनिश्चितकालीन धान खरीदी बंद कर दी है। वे अपने दुकानों के सामने पोस्टर लगा दिया है कि धान खरीदी बंद है। नगर के व्यापारियों ने बैठक रखी थी, जिसमें सभी ने प्रशासन के द्वारा की जा रही कार्रवाई की निंदा की और कहा कि आज प्रदेश में 1972 का मंडी अधिनियम लागू है। जब यहां पर चार क्विंटल प्रति एकड़ में ुपज थी और आज प्रति एकड़ 25 से 35 क्विंटल धान का उत्पादन हो रहा है। इन परिस्थियों में आखिर किसान धान को बेचे कहां।
व्यापारियों ने प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाई पर भी प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि हमेशा मंडी टैक्स देने के बाद भी कार्यवाही की जा रही है। शासन द्वारा व्यापारी लाइसेंस लेकर धान की खरीदी करते हैं। इन सब बातों को लेकर सभी व्यापारियों ने दुकानों के सामने पोस्टर चिपका दिया है। बैठक में प्रमुख रूप से धान व्यापारी संघ के अध्यक्ष रमेश शर्मा, राकेश शर्मा, सफर सचदेव, सज्जन शर्मा एआनंद सारस्वतए मनजीत सिंह ए रजत कुकरेजा राजेश थदानी, कमल साहू लाजपत यादव, जयसिग यादव, इकबाल भाई, हरिराम, त्रिलोकी, रमेश जायसवाल, शिव जायसवाल, कमल सिन्हा, इलू मेमन, इस्माइल मेमन सहित आसपास के व्यापारी उपस्थित थे। इस संबंध में मंडी सचिव प्रदीप शुक्ला ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है।

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