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बता दें राज्य में ढाई सालों में मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में 13 प्रतिशत और मत्स्य उत्पादन में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राज्य में मत्स्य पालन के लिए अभी मछुआरों को प्रतिशत ब्याज पर 1 लाख तक तथा 3 प्रतिशत ब्याज पर अधिकतम 3 लाख रुपए तक ऋण मिलता था। इस क्षेत्र को कृषि का दर्जा मिलने से अब मत्स्य पालन से जुड़े लोग सहकारी समितियों से अब अपनी जरूरत के अनुसार शून्य प्रतिशत ब्याज पर सहजता से ऋण प्राप्त कर सकेंगे।
किसानों की भांति अब मत्स्य पालकों एवं मछुआरों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिलेगी। मत्स्य कृषकों एवं मछुआरों को प्रति 10 हजार घन फीट पानी के बदले 4 रुपए का शुल्क अदा करना पड़ता था, जो अब उन्हें फ्री में मिलेगा। साथ ही प्रति यूनिट 4.40 रुपए की दर से विद्युत शुल्क भी अदा नहीं करना होगा। सरकार के इस फैसले से मत्स्य उत्पादन की लागत में प्रति किलो लगभग 10 रुपए की कमी आएगी।
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