अपर लोक अभियोजक योगेन्द्र ताम्रकार के मुताबिक सुशील गुप्ता सीएनजीएसवाय में कार्यपालन अभियंता के पद पर रायगढ़ में पदस्थ था और घटना के एक दिन पहले 17 मार्च को अपने दोस्त सुशील के साथ रायगढ़ से रायपुर लौटा था। 18 मार्च 2017 को सुशील गुप्ता को आरोपी मनोज शर्मा ने मकान किराए पर दिलाने के लिए चंगोराभांठा स्थित मकान बुलाया। सुशील थोड़ी देर में आता हूं कहकर घर से निकला।
चंगोराभांठा पहुंचते ही आरोपियों ने सुशील गुप्ता का अपहरण कर बंधक बना लिया और चंगोराभांठा के मकान में रखा था। रात 11 बजे अपहरणकर्ताओं ने सुशील गुप्ता के मोबाइल से उसकी पत्नी सुलभा गुप्ता के मोबाइल पर फोन किया था कि उसका पति उन लोगों के कब्जे में है और दस लाख रुपए की फिरौती की मांग की। सुलभा गुप्ता ने इसकी सूचना डीडी नगर पुलिस को दी।
पुलिस ने तुरंत मोबाइल नंबर के सहारे लोकेशन ट्रेस किया और आरोपियों के निवास बोरियाकला पहुंच गई। घर का दरवाजा अंदर से बंद था जहां सुशील गुप्ता को बांधकर रखे थे। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर पीडि़त सुशील गुप्ता को आरोपियों के कब्जे से मुक्त कराया था। इस मामले में पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इस केस में एक नाबालिग भी शामिल था जिसका प्रकरण बाल न्यायालय में लंबित है।
यह मामला चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार वर्मा की अदालत में चला। अदालत ने आज आरोपी मनोज शर्मा 26 कानपुर, अब्दुल सामी खान 38 वर्ष पुणे, अबोनी मिस्त्री 27 कांकेर, मालती उर्फ खुशी 28 वर्ष पुणे, प्रीति शर्मा कानपुर को धारा 364(क) व धारा 120बी के तहत आजीवन कारावास, धारा 342 के तहत एक वर्ष की सजा और धारा 25(1) के तहत पांच वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। सजा के साथ ही प्रत्येक आरोपी को 1400 रुपए का अर्थदंड से दंडित किया है।