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रायपुर

संतान की लम्बी आयु के लिए आज माताएँ रखेंगी कमरछठ का व्रत, जाने कैसे मनाया जाता है त्यौहार

Hal Shashti Vrat: आज छत्तीसगढ़ में पारंपरिक त्यौहार कमरछठ मनाया जा रहा है. इस त्यौहार में महिलाएं व्रत रख कर शिव पार्वती की पूजा करती हैं और अपने संतान के लंबी आयु की कामना करती हैं.

रायपुरAug 17, 2022 / 12:29 pm

Sakshi Dewangan

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Hal Shashti Vrat: रायपुर. हर साल भादो माह की षष्ठी तिथि के दिन हल षष्ठी का व्रत रखा जाता है. इसे कई राज्यों में हलछठ और ललही छठ के नाम से जाना जाता है. वहीं छत्तीसगढ़ में कमरछठ के नाम से जाना जाता है. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्यौहारों में शामिल कमरछठ (Kamarchhath Vrat) का विशेष महत्व है, महिलाएं इस व्रत को संतान प्राप्ति और संतान की सुख-समृद्धि के लिए करती हैं. आज छत्तीसगढ़ में कमरछठ का त्यौहार मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं कैसे मनाया जायाता है हल षष्ठी का त्यौहार.

छत्तीसगढ़ में आदिकाल से मनाया जा रहा यह त्यौहार
कमरछठ व्रत में तालाब में पैदा हुए खाद्य पदार्थ अथवा बगैर जोते हुए खाद्य पदार्थ खाए जाते हैं. इसलिए इस दिन बिना हल चली वस्तुओं का ही महत्व होता है, महिलाएं पूजा के बाद पसहर चावल जिसे लाल भात कहते हैं और 6 प्रकार की भाजी का सेवन करती हैं. इस दिन सिर्फ भैंस के दूध और दही का ही सेवन किया जाता है. संतान की लंबी उम्र के लिए छत्तीसगढ़ में आदिकाल से ये त्योहार मनाया जा रहा है.

 

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जानिए कैसे मनाया जाता है कमरछठ का त्यौहार
महिलाएं कमरछठ हल षष्ठी का व्रत संतान प्राप्ति और संतान की सुख-समृद्धि के लिए करती हैं. इस व्रत में शिव और पार्वती जी की पूजा की जाती है. इस व्रत में महिलाओं द्वारा गली मोहल्लों और घरों में सगरी यानि दो तालाब की स्वरूप आकृति बनाई जाती है. व्रत रखने वाली महिलाएं सगरी में दूध, दही अर्पण करती हैं.

6 अंक का होता है महत्व
कमरछठ में 6 अंक का काफी महत्व है, सगरी में 6-6 बार पानी डाला जाता है. साथ ही 6 खिलौने, 6 लाई के दोने और 6 चुकिया यानि मिट्टी के छोटे घड़े भी चढ़ाए जाते हैं. 6 प्रकार के छोटे कपड़े सगरी के जल में डुबोए जाते हैं और संतान की कमर पर उन्हीं कपड़ों से 6 बार थपकी दी जाती है, जिसे पोती मारना कहते हैं.

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