scriptशावक तस्कर फिरोज का दो माह बाद भी पता नहीं लगा पाए वन अधिकारी | Forest officials could not trace cub smuggler Feroze even after two mo | Patrika News
रायपुर

शावक तस्कर फिरोज का दो माह बाद भी पता नहीं लगा पाए वन अधिकारी

बड़े आरोपी गिरफ्त से दूर, ग्रामीण और पशु पक्षी कारोबारी पर कार्रवाई कर वन अफसरों ने साधी चुप्पी

रायपुरNov 21, 2019 / 11:25 pm

mohit sengar

रायपुर।तेंदुए के शावकों की तस्करी के मामले में रायपुर पुलिस और वन विभाग के अफसरों ने रायपुर के दो कारोबारी समेत उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के गांवों में रहने वाले ८ लोगों को जेल दाखिल करवा दिया है। लेकिन शावक तस्करी का मास्टरमाइंड फिरोज मेमन दो माह बाद भी गिरफ्त से दूर है। तेंदुआ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम १९७२ की अनुसूची १ में दर्ज है। इसके बावजूद इसकी तस्करी का नेटवर्क ऑपरेट करने वाले पकड़ से दूर हैं।
यह है पूरा मामला
१५ सितंबर की रात को रायपुर पुलिस ने अभनपुर से दो पशु-पक्षी कारोबारियों को तेंदुए के दो शावकों के साथ पकड़ा था। चूनाभ_ी निवासी आरोपी मोहम्मद शाबिर और राकेश निषाद ने पूछताछ में बताया था कि गरियाबंद निवासी कपड़ा कारोबारी फिरोज मेमन के माध्यम से शावक उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के गांव से खरीदा गया था। आरोपियों की निशानदेही पर वन अफसरों ने गयिाबंद स्थित फिरोज मेमन के ठिकाने पर दबिश दी, लेकिन वो फरार हो गया।
डॉग स्क्वाड के माध्यम से वन अफसरों ने जंगल से शावक निकालकर कारोबारी को देने वाले ८ आरोपियों को भी पकड़ा। फिरोज की तलाश में वन अफसरों ने गरियाबंद और ओडि़शा के ठिकानों पर छापा मारा, लेकिन उसे पकडऩे में सफलता हासिल नहीं कर पाए।
रायपुर के कारोबारी का नाम आया था सामने
पुलिस ने शावकों के साथ जब पशु-पक्षी कारोबारी को पकड़ा था, तो रायपुर के बड़े कारोबारी और बार संचालक का नाम शावकों की बिक्री करवाने में सामने आया था। पशु-पक्षी कारोबारियों ने फिरोज के माध्यम से ४५ हजार में शावक खरीदा था और उसका सौदा लगभग दो लाख रुपए में तय किया था। आरोपी रायपुर में शावकों की डिलीवरी किसे देने वाले थे? इस बात की जानकारी रायपुर पुलिस के अधिकारी भी अभी तक पता नहीं लगा पाए है।
मामलें में उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के एसडीओ का कहना है कि केस में रायपुर से २ और गरियाबंद में ८ लोगों पर कार्रवाई की गई है। मुख्य आरोपी फिरोज मेमन की तलाश जारी है। आरोपी के बारे में उसके परिजनों और परिचितों से पता लगाया जा रहा है। वनक्षेत्र में शिकार या तस्करी ना हो इसलिए गश्त बढाई गई है।

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