कंपनी संचालक से बातचीत कर आजिज आ चुके 7 जिलों के किसानों ने सोमवार को महासमुंद में प्रदर्शन किया। उन्होनें पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर भुगतान दिलाने की मांग की। किसान कलेक्टर से भी मिलने पहुंचे थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। किसानों ने बताया जून 2018 में लभरा गांव में मजिसा एग्रो प्रोडक्ट्स के संचालक अभिषेक बाफना के साथ किसानों की एक बैठक हुई थी। इसमें महासमुंद के अलावा धमतरी, गरियाबंद, रायपुर, बेमेतरा, बालोद और दुर्ग जिले के कई किसान शामिल हुए।
बाफना के किसानों को अपने खेतों में काला चावल उड़ाने का प्रस्ताव दिया। उनका कहना था, उनकी कंपनी 2600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से उनकी पूरी फसल खरीद लेगी। किसान इसपर तैयार हो गए। बीज भी अभिषेक बाफना की कंपनी से ही खरीदा। जनपद पंचायत सदस्य योगेश्वर चंद्राकर ने बताया, किसानों ने 12 हजार क्विंटल धान का उत्पादन किया था। धान की कुल कीमत 3 करोड़ रुपए थी। कंपनी ने उनकी पूरी फसल नहीं खरीदी। जिनकी खरीदी उनका पूरा भुगतान नहीं किया और जिनका किया उनमें से कई के चेक बाउंस हो गए। चंद्राकर ने बताया कि अभी भी किसानों का लगभग 70 से 80 लाख रुपए बकाया है। जिस दौर में निती आयोग जैसे सरकार के थिंक ट्रैक कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने का सुक्षाव दे रहे हैं, किसानों के साथ ऐसी धोखाधड़ी के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।