मजे की बात है कि खाते से हर आहरण के बाद उससे जुड़े मोबाइल नंबर में अलर्ट मैसेज भी आया होगा? इस पर भी मंडी बोर्ड के अधिकारियों का ध्यान नहीं गया। इससे बोर्ड के अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। दूसरी ओर पकड़े गए आरोपियों के पास बैंक खाते का पासबुक, चेकबुक भी था, जिसमें कूटरचना करके पैसा निकालते रहे। यह चेकबुक, पासबुक खाताधारक के पते पर डाक या कोरियर के माध्यम से जाता है, लेकिन इसमें आरोपियों के पास कैसे पहुंच गया? पुलिस ने रविवार को पकड़े गए आरोपियों से 38 लाख रुपए और बरामद किया है। आरोपियों को दो दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है।
क्या है मामला
मंडी बोर्ड के एमडी भुवनेश यादव और लेखाधिकारी केसी शर्मा की ओर से 19 मई को एक्सिस बैंक के डूंडा ब्रांच में एक बचत खाता 922010025774139 खोला गया था। इसके बाद बोर्ड ने अपने तीन बैंकों से 60 करोड़ रुपए निकालकर इस खाते में जमा किया था और 23 मई से ही खाते से फर्जी आरटीजीएस पर्ची के जरिए रकम निकलने लगे। 14 जून तक 11 आरटीजीएस और 2 स्थानांतरण के जरिए बोर्ड के खाते से कुल 16 करोड़ 40 लाख 12 हजार 655 रुपए अलग-अलग 13 बैंक खातों में जमा हुए। 13 बैंक खातों से फिर रकम दूसरे 13 बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया।
इस बीच मंडी बोर्ड के अधिकारियों यह भी चेक नहीं किया कि उनके बैंक खाते से रकम दिल्ली, मुंबई, गुजरात, बेंगलुरु जैसे शहरों के बैंक खातों में भुगतान क्यों हो रहा है। दूसरी ओर एक्सिस बैंक का मैनेजर संदीप आरोपियों से मिला हुआ था। बाद में मंडी बोर्ड की ओर से 30 करोड़ की एफडी करने के लिए पर्ची एक्सिस बैंक भेजा, तो उस समय अधिकारियों को शक हुआ। इसी दौरान एक ईमेल भी मिला, जिसमें मंडी बोर्ड के अधिकारियों को फर्जीवाड़े के संबंध में जानकारी दी गई थी।
38 लाख और हुए बरामद
मामले में गिरफ्तार एक्सिस बैंक के मैनेजर संदीप रंजनदास, कोटक महिंद्रा के मैनेजर गुलाम मुस्तफा, सौरभ मिश्रा, समीर कुमार जांगड़े, मोहम्मद आबिद खान को पुलिस ने रविवार को न्यायालय में पेश किया। पुलिस ने उन्हें दो दिन की पुलिस रिमांड पर लिया है। उनसे ठगी में इस्तेमाल दस्तावेजों की जब्ती की जाएगी। पुलिस ने उनसे ठगी के 38 लाख रुपए और बरामद किया है। छत्तीसगढ़ के बाहर अलग-अलग बैंकों में जमा 98 लाख रुपए को होल्ड कराया है। इससे पहले 84 लाख रुपए बरामद किया था।
मामले के मास्टरमाइंड सत्यनारायण वर्मा उर्फ़ सतीश वर्मा और सांई प्रवीण रेड्डी को पुलिस ने हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है। देर रात पुलिस उसे लेकर रायपुर पहुंची। पुलिस का दावा है कि पूरे मामले का मास्टरमाइंड सतीश वर्मा है। सतीश और चंद्रभान ने बैंक मैनेजर और बोर्ड के अधिकारियों को झांसा दिया। अपने साथियों के साथ कूटरचित दस्तावेज पेश करके राशि को दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया था।
कई कारोबारी संदेह के दायरे में
मामले में आरोपियों ने जिन लोगों के बैंक खाते में रकम ट्रांसफर किया है, पुलिस उन्हें भी संदेही मान रही है। इसमें कई लोग शहर के कारोबारी भी हैं। बताया जाता है कि आरोपी सौरभ मिश्रा के पास ही मंडीबोर्ड का चेकबुक और पासबुक था। और उसी में कूटरचना करके आरटीजीएस के जरिए रकम का आहरण किया गया है। सौरभ का एक राजनीतिक दल से भी संबंध है। उसके रायपुर और मुंबई के दो कारोबारियों से भी संबंध है। कुछ रकम उनके खाते में भी जमा किया है। पुलिस उसकी तलाश कररही है।
जिन शहरों से रकम निकले हैं, वहां पुलिस रवाना
मामले में अन्य आरोपियों के शामिल होने की संभावना है। बताया जाता है कि आरोपियों ने दिल्ली, मुम्बई, गुजरात, बेंगलुरु व अन्य राज्य के शहरों के बैंक खाते में राशि को जमा किया था। वहां से राशि का आहरण भी हो गया। पुलिस अब आहरण करने वालों की तलाश कर रही है ।