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रायपुर

अधिकारों का दुरुपयोग करने और समाज की सच्चाई दिखाने वाला नाटक ‘प्रजातंत्र का खेल ’

मुक्ताकाश मंच पर रंग श्रृंख्ला नाट्य मंच द्वारा चार दिवसीय रस्मरंग का आयोजन किया गया

रायपुरJan 16, 2019 / 02:38 pm

Deepak Sahu

NATAK

अधिकारों का दुरुपयोग करने और समाज की सच्चाई दिखाने वाला नाटक ‘प्रजातंत्र का खेल ’

रायपुर. मंच पर मदारी और जमूरा कहते हैं, आज मैं तुम्हें देश में अधिकारों का दुरुपयोग किस प्रकार किया जा रहा है उसकी कहानी बताता हूं। कहानी शुरू होती है जहां सावित्री नाम की महिला रहती है और वह शादीशुदा है। उसके पड़ोस में रहने वाले बन्नू नाम का एक मजनू है जो सावित्री को चाहता है, लेकिन सावित्री उसे इनकार कर देती हैं।
बन्नू अपनी शिकायत लेकर एक बाबा के पास जाता है जो उसे अनशन करने की सलाह देता है। यह नजारा मंगलवार को मुक्ताकाश मंच पर दिखा। यहां पर महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के नाटक ‘प्रजातंत्र का खेल ’का मंचन हुआ। जिसमें बताया कि किस प्रकार अधिकारों का हनन करते हुए देश में अन्याय को जिताने के लिए राजनीति शुरू हो जाती है। मुक्ताकाश मंच पर रंग श्रृंख्ला नाट्य मंच द्वारा चार दिवसीय रस्मरंग का आयोजन किया गया। प्रजातंत्र का खेल का निर्देशन हीरा मानिकपुरी ने किया।

कालेधन की लड़ाई में हंस चुके हैं सब
नाटक अपना मोड़ लेता है बन्नू सावित्री को पाने के लिए अनशन की सलाह तो लेता है, लेकिन कहता है बाबा लोग मुझ पर हंसेंगे तो इस पर अनशन बाबा बोलते हैं कि देश में अब कोई नहीं हंसेगा क्योंकि सभी लोग कालेधन के खिलाफ छिड़ी जंग में हंस चुके हैं। इस प्रकार के संवाद ने देश की राजनीति पर तंज कसा।

कई पार्टियां बन्नू के समर्थन में
नाटक में बन्नू अनशन पर बैठ जाता है और लोग इसे अधिकार की लड़ाई मानने लगते हैं। फिर शुरू होती है राजनीति। कई पार्टी बन्नू के समर्थन में आ जाती हैं क्योंकि उनका मानना होता है कि अगर बन्नू को न्याय नहीं दिला पाएं तो सत्ता किस प्रकार आ पाएगी।

यह बात गर्म होने लगती है और सियासत इसे अपना मुद्दा मान लेती हैं। मामला केंद्र सरकार तक पहुंच जाता है और अंतत: सावित्री का परिवार हार जाता है और बन्नू सावित्री को पा लेता है। इस नाटक से बताया गया कि राजनीति और अधिकारों का सदुपयोग न करते हुए देश में क्या माहौल बन रहा है। नाटक में उस्ताद विवेक निर्मल, जमूरा सुहास बंसोड़, बन्नू हुकुमचंद पटेल, अनशन बाबा शिवा कुंभार, सावित्री अलका दुबे, प्रधानमंत्री भवानी शंकर तिवारी आदि ने भूमिका निभाई।

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