जुलाई, अगस्त और फिर सितंबर। एक के बाद एक इन 3 महीनों में कोरोना का फैलाव बढ़ता ही गया। सितंबर में 40 हजार से अधिक मरीज अब तक रिपोर्ट हो चुके हैं। संक्रमित मरीजों की संख्या 90 हजार के पार जा पहुंची है। अभी भी विशेषज्ञों का मानना है कि अक्टूबर के बाद नवंबर में संक्रमण बढ़ने की संभावना है। यानी सतर्कता बहुत ज्यादा जरूरी है। मॉस्क का नियमित इस्तेमाल, सोशल और फिजिकल डिस्टेंसिंग कोरोना को हराने की बुनियाद है। अभी भी 38,198 एक्टिव मरीज हैं जिन्हें कोरोना को हराकर अस्पताल से घर को लौटना है। जो जरूर लौटेंगे।
कोरोना को हराने वालों की जुबानी
डॉक्टर- आंबेडकर अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर ड्यूटी पर कर रहे थे, तभी उन्हें लक्षण दिखाए दिए। उन्होंने तत्काल जांच करवाई और पॉजिटिव आ गए। सैंपल देने तत्काल बाद उन्होंने खुद को आईसोलेट कर लिया। रिपोर्ट आने पर अस्पताल में भर्ती हो गए। वे स्वस्थ होकर काम पर लौट चुके हैं। उनका कहना है कि इस बीमारी में देरी ही मौत की वजह बनी है। मैंने खुद मरीजों को देरी की वजह से अस्पताल में पहुंचते-पहुंचते इलाज शुरू होने के पहले मरते देखा है।
सीख- लक्षण दिखाई दे तो तुरंत जांच करवाएं, देरी ही मौत की वजह बन रही है।
किसान- अंबिकापुर के किसान महेंद्र सिंह (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्हें फेफड़े में संक्रमण यानी निमोनिया पाया गया। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई और गंभीर स्थिति में रायपुर एम्स रेफर किया गया। सांस लेने में तकलीफ बढऩे पर ऑक्सीजन पर रखा गया। स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।
सीख- मैं लक्षण होने के बावजूद अपने परिवार के साथ रहा। जो गलत था। मेरी वजह घर के 5 सदस्य संक्रमित हुए। सैंपल तुरंत दें, और खुद को सबसे दूर कर लें।
स्वास्थ्य विभाग के संभागीय संयुक्त संचालक एवं प्रवक्ता डॉ. सुभाष पांडेय ने कहा, बीते कुछ दिनों से रिकवरी रेट में काफी सुधार आया है। लॉकडाउन का असर भी आने वाले दिनों में दिखाई देगा। टेस्टिंग कम जरूर हुई है, इस संबंध में उच्च स्तर पर बातचीत जारी है।