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रायपुर

टीचर एेप से बच्चों को पढ़ाने-सिखाने की शैली बनाई आसान, छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने लहराया परचम

राष्ट्रीय संसाधन प्रतियोगिता में अंबिकापुर की प्रमिला कुशवाहा प्रथम और सुनीता भगत द्वितीय स्थान पर, देशभर के 2000 शिक्षकों में प्रदेश के 7 शिक्षक रहे टॉप-10 में

रायपुरOct 25, 2018 / 02:09 am

Anupam Rajvaidya

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टीचर एेप से बच्चों को पढ़ाने-सिखाने की शैली बनाई आसान, छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने लहराया परचम

विकास सोनी / रायपुर. राष्ट्रीय संसाधन प्रतियोगिता में प्रदेश के शिक्षकों ने द टीचर ऐप के माध्यम से बच्चों को सिखाने-पढ़ाने की सरल शैली विकसित कर देशभर में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है। केंद्र सरकार द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में शिक्षकों ने इस शैली को केंद्रीय मानव संसाधन विभाग के साथ द टीचर एेप पर साझा भी किया। इस ऐप में पंजीकृत देशभर के लाखों शिक्षकों ने सराहते हुए ऑनलाइन वोटिंग के जरिए अपना समर्थन दिया। इसमें अंबिकापुर की प्रमिला कुशवाहा को प्रथम पुरस्कार और वहीं की सुनीता भगत को द्वितीय पुरस्कार से नवाजा गया। वहीं, तीसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश के चंबा क्षेत्र के युधवीर रहे।
देशभर के 2000 प्रतिभागियों में जारी की गई टॉप-10 की सूची में छत्तीसगढ़ के 7 शिक्षकों को जगह मिली। इस प्रतियोगिता में टॉप-3 प्रतिभागियों को बतौर पुरस्कार मोबाइल और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाएगा। समग्र शिक्षा अभियान के सहायक संचालक डॉ. एम. सुधीश ने बताया कि छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक 90 हजार शिक्षक इसमें पंजीकृत हैं, जो कि अन्य राज्यों से कहीं ज्यादा हैं।

एेसी थी प्रतियोगिता
केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय की पहल पर द टीचर ऐप संस्थान ने बच्चों को शिक्षा देने हेतु शिक्षकों के लिए ऐप का निर्माण किया। इसमें वीडियो के माध्यम से गणित, भाषा, विज्ञान, पाठ्यवस्तु चयन, पाठ्यचर्चा जैसी विषयवस्तु को डाला। जिसे देखकर प्रायमरी और पूर्व माध्यमिक स्कूल के बच्चों को खेल-खेल के माध्यम से शिक्षा दी जा सके। साथ ही देशभर के शिक्षकों को इससे जोडऩे के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें शिक्षकों को इनका अवलोकन कर इनसे पृथक शैक्षणिक पद्धति ईजाद कर बच्चों को शिक्षित करना था।

टॉप-10 में शामिल रहे ये शिक्षक
अशोक कुमार राठी (कोरबा) : चाय के कप से स्थानीय मान निकालना कक्षा 1 से 5 के छात्रों को सिखाया।
हेमदास बैरागी (रायगढ़) : बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि उत्पन्न करना, बोर्ड के माध्यम से अलग-अलग अक्षरों को जोड़कर शब्द बनाना बच्चों को सिखाया।
हेमदत्तेश्वर पटेल (कोंडागांव) : हिन्दी-अंग्रेजी के लिए कक्षा छठवीं और आठवीं के कठिन शब्दों का प्रयोग आसानी से करने के साथ आत्मविश्वास विकसित करने के लिए आज के शब्द का निर्माण को बढ़ावा दिया।
समीक्षा त्रिपाठी (मुंगेली) : शब्दकोष बढ़ाने के लिए सभी छात्रों की नाम की सूची बनाते हुए सभी के नाम का मतलब बताते हुए उनके पर्यायवाची सहित अन्य शब्दों का प्रयोग आपस में करना सिखाया। यह कक्षा 4-5 के लिए उपयोगी रहा।
योगेश करंजगवकर (बिलासपुर) : मेल-मिलाप टूल का उपयोग कर गणित और पर्यावरण विषय के कक्षा 1-5 के छात्रों के लिए रेखागणित, पैसे-रुपए, समय, फल, सब्जियों की पहचान करना और इसका मूल उद्देश्य बच्चों की समझ को विकसित करना था। दो तारों के माध्यम से बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक तकनीक से सही उत्तर समझने की समझ विकसित की गई।

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