लगातार कई रेल बजट को देखें तो सबसे अधिक फोकस रेल इंफ्रास्ट्रक्चर, संरक्षा और सुरक्षा पर केंद्रित रहा है, ताकि मालागाड़ी और यात्री ट्रेनों की आवाजाही तेजी हो, समय जाया न हो। इसलिए पटरी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देने के लिए रेल डिवीजन के अंतर्गत सेक्शन से सेक्शन को दुरुस्त करने के कांसेप्ट पर काम कराने के दावे रेल अफसर करते रहे हैं, परंतु इसी बीच पिछले मेन रेल लाइन पर चार महीने के अंदर 4 मालगाड़ी हादसों के आंकड़ें सामने आए हैं। मालगाड़ी की स्पीड 25 से 30 किमी प्रतिघंटा से बढ़ाकर 45 किमी प्रतिघंटे की स्पीड से परिचालन की तस्वीरें भी पेश की गईं। लेकिन रेल पटरी की असल हकीकत मालगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होने से सामने आई है। इस वजह से हर रेल लाइन पर अगले साल के तीन से चार महीने के अंदर यात्री ट्रेनें 130 किमी की स्पीड से चलाने के लिए गोंदिया से झारसुगुड़ा तक पटरी तैयार कर ली जाएगी। इस पर सवाल उठ रहे हैं।
नागपुर के बाद अम्बिकापुर में हादसा
बिलासपुर जोन के नागपुर रेल मंडल में मालगाड़ी पटरी से उतरने की घटना के तीन दिन बाद अम्बिकापुर रेल लाइन पर मालगाड़ी का बड़ा हादसा हो गया। इस वजह से दुर्ग-अम्बिकापुर के बीच चलने वाली स्पेशल अम्बिकापुर एक्सप्रेस का परिचालन प्रभावित हुआ। इसके साथ ही बिलासपुर रेल मंडल की चार ट्रेनें कैंसिल करनी पड़ी है। जबकि नागपुर मंडल की घटना के कारण 8 से 10 ट्रेनों के पहिए तीन दिनों तक ठप रहे। इससे पहले रायपुर स्टेशन से तीन किमी दूर उरकुरा स्टेशन में अगस्त में मालगाड़ी के दो डिब्बे पटरी से उतर गए और सितंबर महीने में पेंड्रारोड-अनूपपुर के बीच मालगाड़ी मेन लाइन पर दुर्घटना ग्रस्त हुई है।
हर डिवीजन की जिम्मेदारी तय
रेल अफसरों के अनुसार ट्रेनों के परिचालन की गति बढ़ाने के लिए जोन के तीनों रेल मंडलों की जिम्मेदारी है। रायपुर रेल मंडल के सीनियर पब्लिसिटी इंस्पेक्टर शिव प्रसाद पंवार का कहना है कि पटरी दुरुस्त करने के साथ ही दोनों तरफ बेरिकेटिंग करने का काम तेजी से चल रहा है। हादसा केवल पटरी की वजह से नहीं कई अन्य तकनीकी कारण भी होते हैं। जिसकी जांच रेलवे में उच्चस्तर पर की जाती है।