scriptसड़क किनारों से हरियाली गायब, रुख की छांव को तरसते रहते हैं राहगीर | Greenery disappears from road edges, passersby crave the stance | Patrika News
रायपुर

सड़क किनारों से हरियाली गायब, रुख की छांव को तरसते रहते हैं राहगीर

कुछ साल पहले यहां जिन सड़कों के किनारे फलदार व छायादार वृक्षों की कतार लगी होती थी, आज वहां वीरानी छाई है। जेठ की तपती दोपहरी से बचने के लिए राहगीर सड़कों के किनारे इन पेड़ों की छाया के तले बैठकर चंद लम्हे गुजारते थे।

रायपुरMay 26, 2020 / 05:17 pm

dharmendra ghidode

सड़क किनारों से हरियाली गायब, रुख की छांव को तरसते रहते हैं राहगीर

सड़क किनारों से हरियाली गायब, रुख की छांव को तरसते रहते हैं राहगीर

खरोरा. आसमान से लगातार बरस रही आग ने लोगों को बेहाल कर दिया है। दस बजते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जा रहा है। लू के थपड़ों से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। राहगीर रास्ते में रुक कर छांव के लिए तरशते हैं। बीते एक दशक में यहां लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण किया गया था। लेकिन इसके कोई फायदा नहीं हुआ। अब आलम यह है कि आज पथिक हो या पंक्षी उसे तरुवर की छाया नसीब नहीं हो रही।
कुछ साल पहले यहां जिन सड़कों के किनारे फलदार व छायादार वृक्षों की कतार लगी होती थी, आज वहां वीरानी छाई है। जेठ की तपती दोपहरी से बचने के लिए राहगीर सड़कों के किनारे इन पेड़ों की छाया के तले बैठकर चंद लम्हे गुजारते थे। इसके अलावा दूर से आने-जाने वाले पथिक भी इन्हीं पेड़ों के नीचे बैठकर समय गुजारते थे। लेकिन सड़क के पेड़ चौड़ीकरण के चलते सड़क की भेंट चढ़ गए।
गर्मी से आमजन ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी भी बेहाल हैं। तीन-चार दिनों से तो हाल यह है कि सुबह से गर्म हवाएं चलनी शुरू हो जाती है। लोग धूप से बचने के लिए टोपी व गमछा का सहारा ले रहे हैं। गर्मी से राहत पाने के लिए चंद मिनट रुकने के लिए सड़क किनारे सुकून भरी छांव भी नसीब नही हो रही है। कुछ यही हाल ग्रामीण क्षेत्रों का भी है। तालाबों में पानी नहीं रहने से दरार पड़ गई है।
प्यास बुझाने के लिए के लिए इधर-उधर भटक रहें हैं। लोगों का कहना है कि इसी माह में यह हाल है तो आगे चलकर क्या होगा। प्रकृति के मार के साथ-साथ प्रशासन भी उदासीन बना है। जहां तक सड़कों का सवाल है नगर की एकाध सड़क को छोड़कर हर सड़क छांव विहीन है।
ट्री गार्ड लगा हुआ, पौधे गायब
नगर में पौधरोपण अब तक कागजी ही साबित हुई है। इधर कुछ स्थानों पर ट्री गार्ड के साथ पौधरोपण किया गया है। इनमें से कई स्थानों पर ट्री गार्ड तो हैं लेकिन पेड़ बनते पौधे गायब हैं। पर्यावरण विदों का कहना है कि जब तक पौधों की सुरक्षा व उनकी देखभाल हर व्यक्ति अपने बच्चों की तरह नहीं करेगा तब तक पौधों का अकाल रहेगा।
सूखने लगे हैं पेड़-पौधे
लगभग डेढ़ दशक पहले नगर और आसपास हरियाली ही हरियाली दिखाई देती थी। यहां पहुंचने पर लोगों को काफी सुकून मिलता था। लेकिन अब नगर व उसके आसपास हरियाली गायब हो गई है। इससे नगर के कई इलाकों में वीरानी छा गई है। नगर के रायपुर रोड, बलौदाबाजार रोड, तिल्दा रोड पर नाममात्र के पेड़-पौधे भी नहीं बचे हैं। जो बचे हैं वे भी देखरेख के अभाव में सूखने लगे हैं। हर साल शासन ने कई वर्षो में हरियाली महोत्सव मनाते आ रही है। इसके नाम पर लाखों रुपए भी नैछावर कर डाले। नतीजा देखरेख के अभाव में हरियाली कब नष्ट हो गई किसी को पता भी नहीं चला। वहीं अब घटिया किस्म के ट्रीगार्ड भी धराशायी हो गए हैं।
सड़क निर्माण के चलते कट डाले गए पेड़
पांच साल पहले नेशनल हाईवे रोड का निर्माण किया गया था, जिसकी वजह हजारों की संख्या में सड़क के दोनों ओर पेड़ों की कटाई की गई थी। उसके बाद शासन द्वारा सड़कों के किनारे पौधरोपण के निर्देश दिए थे। इसके तहत तमाम जगह पौधरोपण भी हुए। यहां तक कि गांवों को मुख्य मार्गों से जोडऩे वाले सम्पर्क मार्गों के किनारे भी पौधरोपण कराए गए थे। लेकिन जिन पौधों को आज पेड़ के रूप में दिखना चाहिए वे नदारद हैं। संपूर्ण ग्रामीण योजना के तहत यहां पौधरोपण भी सालों पहले हो चुका है। लेकिन यह कागजों तक ही सीमित रहा। ऐसे ही तमाम स्थानों पर पौधरोपण का दावा तो किया गया लेकिन धरातल पर कुछ नहीं रहा। जो पेड़ पहले से लगे थे वे भी अब धीरे-धीरे कटते जा रहे हैं।

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