राज्य सरकार की परेशानी इसलिए बढ़ रही है कि क्योंकि केंद्रीय करों में लगातार कटौती की जा रही है। पिछले 3 साल में छतीसगढ़ को केन्द्रीय करों में हिस्से से 13,089 करोड़ कम मिले हैं। इसके चलते राज्य सरकार को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है।
कांग्रेस का दावा है कि छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार से 55 हजार करोड़ से ज्यादा राशि मिलनी है। इसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि 14000 करोड़ है। कोयले की रायल्टी का अतिरिक्त लेवी का 4140 करोड़ बकाया है। सेंट्रल एक्साइज के 13000 करोड़ मिलने हैं। प्रधानमंत्री शहरी आवास का 1500 करोड़ की दो किस्तें बकाया हैं। खाद सब्सिडी का 3631 करोड़ रुपए बाकी है। मनरेगा का भुगतान 9,000 करोड़ बकाया है। मनरेगा तकनीकी सहायता का 350 करोड़ लंबित है। सीआरपीएफ बटालियन पर केंद्र सरकार ने जो राशि खर्च की है, उसका 11 हजार करोड़ काट दिया है। इस तरह 55,121 करोड़ रुपए बाकी है। सरकार भी राजस्व बढ़ाने में जुटी
प्रदेश में राजस्व वृद्धि पर सुझाव देने के लिए सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है। सरकार का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष में 2022-23 राज्य प्राप्त होने वाले कुल राजस्व में राज्य का हिस्सा 44,500 करोड़ और केंद्र का 44,573 करोड़ रहेगा। वर्ष 2021-22 राज्य का राजस्व 35 हजार और केंद्र का 44,325 करोड़ था। वहीं, वर्ष 2020-21 यह आंकड़ा क्रमश: 35,370 व 48,461 करोड़ रहा।
टीएस सिंहदेव, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) मंत्री