गुप्त नवरात्रि का धार्मिक महत्व (Significance of Gupt Navratri 2022) पंडित मनोज शुक्ला ने बताया गुप्त नवरात्र में भी अगर आम जन चाहे तो किसी विशेष इच्छा की पूर्ति या सिद्धि के लिए साधना उपासना तथा पाठ आदि करके मनोरथ की पूर्ण कर सकते हैं। नवरात्रि पर्व को साधना के लिए श्रेष्ठ अवसर बनाएगा। साल में चार नवरात्रियां आती हैं। इनमें दो गुप्त और दो प्रकट नवरात्रि होती है। आषाढ़ व माघ की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है। गुप्त नवरात्रि को तंत्र साधना (Gupt Navratri Tantra Sadhana) के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
माता की 10 महाविद्या
गुप्त नवरात्रि में माता की 10 महाविद्या जो दस माता के रूप में जानी जाती है, उनकी अराधना की जाती है। इनके नाम- काली, तारा, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला है। इन विद्याओं का कादि, हादि, सादि क्रम से उपासना भेद है।
गुप्त नवरात्रि में माता की 10 महाविद्या जो दस माता के रूप में जानी जाती है, उनकी अराधना की जाती है। इनके नाम- काली, तारा, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला है। इन विद्याओं का कादि, हादि, सादि क्रम से उपासना भेद है।
ग्रहों के योग संयोग
इस गुप्त नवरात्रि में सूर्य, बुध एवं शनि मकर राशि में गोचर करेंगे, इसमें मकर शनि के स्वामित्व की राशि है। सूर्य-शनि के एक साथ एक ही राशि में होने से तंत्र क्रियाएं सुगमता से होती है।
इस गुप्त नवरात्रि में सूर्य, बुध एवं शनि मकर राशि में गोचर करेंगे, इसमें मकर शनि के स्वामित्व की राशि है। सूर्य-शनि के एक साथ एक ही राशि में होने से तंत्र क्रियाएं सुगमता से होती है।
ज्योतिषियों के मुताबिक इनकी अराधना से कोर्ट में विजय, संतान सुख, मारण, उच्चाटन, विद्वेषण, मोहन, आकर्षण आदि कई लाभ प्राप्त होते हैं। राजनीतिक सफलता के लिए, पद प्राप्ति एवं कई साधक आत्मसुख की प्राप्ति के लिए भी इनकी आराधना करते हैं।
गुप्त नवरात्रि के दौरान 5 फरवरी को वसंत पंचमी (Vasant Panchami) पर्व रहेगा। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि की अष्टमी 9 फरवरी को रहेगी व महानवमी 10 फरवरी को होगी। माघी पूर्णिमा का स्नान दान पर्व 16 फरवरी बुधवार को रहेगा।