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रायपुर

स्वास्थ्य विभाग को 1 करोड़ रुपए प्रतिमाह देना होगा जुर्माना, कारण है यह…

अस्पताल संचालकों की मनमानी पर स्वास्थ्य विभाग को होगा आर्थिक नुकसान, सीएमएचओ बोली पहले समझाइश फिर नियम तोडऩे वालों पर होगी कार्रवाई

रायपुरSep 30, 2019 / 12:08 pm

mohit sengar

स्वास्थ्य विभाग को 1 करोड़ रुपए प्रतिमाह देना होगा जुर्माना, कारण है यह...

स्वास्थ्य विभाग को 1 करोड़ रुपए प्रतिमाह देना होगा जुर्माना, कारण है यह…

रायपुर। प्रदेश में बायो मेडिकल वेस्ट निष्पादन नियमानुसार हो इसलिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर बनी राज्य स्तरीय समिति ने स्वास्थ्य विभाग को जिले के अस्पतालों पर सख्ती करने के लिए 30 सितम्बर तक का समय दिया था।
राज्य स्तरीय समिति के अधिकारी के निर्देश के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुले में बॉयो मेडिकल वेस्ट फेकने वाले अस्पताल संचालकों पर नियंत्रण नहीं लगा पाए है। विभागीय अधिकारियों की इस लापरवाही के चलते स्वास्थ्य विभाग को १ अक्टूबर से प्रतिमाह १ करोड़ रुपए बतौर हर्जाना एनजीटी को देना होगा। यह प्रक्रिया तब तक चलेगी, जब तक बॉयो मेडिकल वेस्ट नियमानुसार निष्पादन अस्पताल और क्लीनिक के संचालक नहीं करेंगे।
690 अस्पताल खुले में फेंकते हैं बॉयो मेडिकल वेस्ट
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार रायपुर में 1 हजार 350 अस्पताल और क्लीनिक है। इन अस्पतालों और क्लीनिक से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट नियमानुसार निष्पादित हो इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने सीएमस कंपनी को काम सौंपा है।
स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर जिले के 660 अस्पतालों ने सीएमएस कंपनी से करार किया, लेकिन 690 अस्पताल और क्लीनिक संचालक अभी भी अपनी मनमानी कर रहे है। एनओसी देकर साधी चुप्पीअस्पताल या क्लीनिक को स्वास्थ्य विभाग और निगम के अलावा पर्यावरण संरक्षण मंडल से एनओसी लेनी पड़ती है।
एनओसी लेने के दौरान विभागीय अधिकारी अस्पताल परिसर की जांच करते हैं और मेडिलक वेस्ट निष्पादन करने की प्रक्रिया अस्पताल संचालक को बताते है। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने अस्पताल और क्लीनिक संचालक के द्वारा आवेदन देने पर एनओसी तो दे दी, लेकिन मेडिकल वेस्ट निष्पादन कैसे होगा? इस बारे में संचालकों को नहीं बताया।
कड़ी सजा का प्रावधान
मेडिकल वेस्ट को खुले में फेंकना व जलाना पर्यावरण संरक्षण एक्ट 2016 के तहत गंभीर अपराध है। दोषी पाए जाने पर 5 साल की जेल या 1 लाख रुपये जुमाने का प्रावधान है। मेडिकल वेस्ट खुले में फेंकना पब्लिक व पर्यावरण दोनों के लिए बेहद हानिकारक है।
बायोमेडिकल वेस्ट खुले में फेंकने से हैपेटाइटस सी, डायरिया और कई गंभीर बीमारियां फैलने की आशंका रहती है। इस तरह अस्पतालों को रखना है मेडिकल वेस्टअस्पतालों में हर तरह के कचरे का अलग प्रबंधन जरूरी है और अलग-अलग कचरे के लिए पीले, नीले व लाल डस्टबीन रखने का नियम है।
पीला रंगे क डस्टबीन में आपरेशन संबंधित मेडिकल की सामग्री, लाल डस्टीबन में कैथेटर, आइवीसेट, दस्ताने आदि तथा नीले डस्टबीन में प्लास्टिक का कचरा, कागज व गत्ते, सुई, कांच के टुकड़े रखे जाते हैं।
२४ जुलाई को हुआ था फैसला
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर बनी राज्य स्तरीय समिति की छठवीं बैठक २४ जुलाई को राजधानी के न्यू सर्किट हाउस में संपन्न हुई थी। बैठक में शहरों में वेस्ट मैनेजमेंट के लिए 2016 में बनाए गए नियमों का पालन सुनिश्चित करने पर चर्चा हुई।
समिति की अध्यक्षता करते हुए जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा ने स्वास्थ्य विभाग को जल्द से जल्द बायो मेडिकल वेस्ट नियमों पर एक्शन प्लान बनाकर कार्यवाई सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने नई दिल्ली के एक मामले का उदाहरण देते हुए बताया कि जिसमें ग्रीन ट्रिब्यूनल ने स्वास्थ्य विभाग को जल्द एक्शन प्लान बनाकर एक अक्टूबर 2019 से पहले कार्यवाही सुनिश्चित नहीं करने की सूरत में एक करोड़ रुपए प्रतिमाह जुर्माना करने का आदेश दिया है।
मामलें में स्वास्थ्य विभाग की सीएमएचओ का कहना है कि मेडिकल वेस्ट निष्पादन के लिए एनजीटी की गाइड लाइन का पालन हो इसलिए सभी अस्पताल और क्लीनिकों को निर्देश जारी किया गया है। बैठक में ३० सितंबर को थी और उसमें जुर्माना तय हुआ है। शासकीय अस्पतालों में नियमों का पालन हो रहा है। प्राइवेट अस्पताल नियमों का पालन करें इसके लिए पहले समझाइश के साथ मदद करेंगे और फिर कार्रवाई करेंगे।

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