Junior Doctors strike: मरीजों के दर्द पर भारी पड़ी जूनियर डॉक्टरों की मांग, कहा- अपनी बात मनवाए बिना नहीं लौटेंगे काम पर, देखें Video
Junior Doctors strike: एक ओर दर्द से कराहते मरीज तो, दूसरी ओर तनख्वाह बढ़ाने के लिए जूनियर डॉक्टर्स और इंटर्न का हल्लाबोल। जहां दर्द से मुक्ति मिलने की आस थी, वहां से दुखी होकर लौटते मरीज।
Junior Doctors strike: मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदेश के सभी 10 मेडिकल कॉलेजों के 3000 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर और इंटर्न बेमुद्दत हड़ताल(Junior Doctors strike) पर चले गए हैं। इसके चलते आंबेडकर अस्पताल समेत प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह बेहाल रही। आज शुक्रवार को इन डॉक्टरों के हड़ताल का दूसरा दिन है।
मिली जानकारी के मुताबिक, ओपीडी में आम दिनों में जितनी जांच होती है, गुरुवार को उससे 30 प्रतिशत कम मरीजों की जांच की गई। इसके अलावा ऑपरेशन, डिलीवरी जैसे गंभीर मामलों में भी लोगों को मुसीबतों से दो-चार होना पड़ा।
जूनियर डॉक्टरों(Junior Doctors) का कहना है कि 4 साल से उनके मानदेय में वृद्धि नहीं की गई है। बीते 2 सालों से वे मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इस पर मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव तक भी बात हो चुकी है, लेकिन हर बार कोरा आश्वासन ही दिया गया। अब काम पर तभी लौटेंगे जब उनकी मांग पूरी हो जाएगी।
सीनियर डॉक्टरों के साथ अधीक्षक भी मोर्चे पर तैनात जूनियर डॉक्टरों (Junior Doctors)और इंटर्न के लामबंद होने के बाद सीनियर डॉक्टर्स पर प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ गया है। गुरुवार को इलाज के लिए आए मरीज ही नहीं, डॉक्टर भी इधर-उधर भागते-दौड़ते नजर आए। कभी ओपीडी, कभी वार्ड तो कभी ऑपरेशन थिएटर की ओर। प्रेशर का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि अस्पताल के अधीक्षक डॉ. बीएस नेताम खुद भी सीनियर डॉक्टरों के साथ पूरे दिन मोर्चा संभालते रहे।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का समर्थन किया है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता जूनियर डॉक्टरों के बीच भी पहुंचे। हालांकि, मीडिया से बातचीत में उन्होंने यह भी माना कि हड़ताल अप्रिय निर्णय है, यह अंतिम विकल्प होना चाहिए। उन्होंने बताया कि गुरुवार सुबह ही उनकी स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से फोन पर बात हुई है। उन्होंने मंत्री से जूनियर डॉक्टरों(Junior Doctors strike) की मांग के अलावा प्रदेशभर में आयुष्मान योजना के भुगतान में उपजी विषम परिस्थितियों पर चर्चा की है।
स्थान… आंबेडकर अस्पताल। समय… सुबह 11 बजे। एक ओर दर्द से कराहते मरीज तो, दूसरी ओर तनख्वाह बढ़ाने के लिए जूनियर डॉक्टर्स(Junior Doctors strike) और इंटर्न का हल्लाबोल। जहां दर्द से मुक्ति मिलने की आस थी, वहां से दुखी होकर लौटते मरीज। केवल आंबेडकर अस्पताल नहीं, गुरुवार को प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों और इससे जुड़े सभी अस्पतालों का यही हाल रहा।
यह भी पढ़ें: CG Weather Forecast: छत्तीसगढ़ में ठंड को बाय-बाय, अब बढ़ने लगी गर्मी, जानें मौसम विभाग का पूर्वानुमान सीनियर डॉक्टरों पर बढ़ा प्रेशर दरअसल, मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदेश के 3000 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर और इंटर्न गुरुवार से बेमियादी हड़ताल (Junior Doctors strike)पर चले गए हैं। इसके चलते सीनियर डॉक्टरों पर प्रेशर बढ़ गया है। बता दें कि आंबेडकर अस्पताल में सीनियर डॉक्टरों की संख्या 250 के करीब है। जबकि, जूनियर डॉक्टर और इंटर्न को मिलाकर आंकड़ा 300 के पार चला जाता है।
लोगों के इलाज पर पड़ रहा असर जाहिर है कि स्टाफ कम होने का असर लोगों के इलाज पर भी पड़ा। ओपीडी में सीनियर डॉक्टर लोगों को बारी-बारी बुलाकर जांच करते रहे। फिर भी बाहर लंबी कतार लगी रही। आम दिनों के मुकाबले सीनियर डॉक्टरों ने आधे घंटे अधिक समय ओपीडी में बताए, फिर भी सबका इलाज संभव नहीं हो सका। आखिरकार लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ा। आगे ये स्थिति कब तक रहेगी, कहा नहीं जा सकता क्योंकि जूनियर डॉक्टर(Junior Doctors strike) मानदेय बढ़वाने पर अड़े हुए हैं। मांग पूरी हुए बिना काम पर नहीं लौटने की चेतावनी भी दी है।
डॉ. बीएस नेताम, अधीक्षक, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल ने कहा, आंबेडकर अस्पताल में सीनियर डॉक्टर्स मरीजों का इलाज कर रहे हैं। गुरुवार को 1251 मरीजों का इलाज किया गया। मेजर ओटी में 12 बड़े ऑपरेशन भी किए गए हैं। मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए हम पूरा प्रयास कर रहे हैं।
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