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रायपुर

छत्तीसगढ़ में भी हॉकी की नर्सरी, लेकिन सरकार की उदासीनता ने छीना गौरव

मैदान तो बना दिए, लेकिन एक भी अकादमी न खोलने और अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक न होने से प्रदेश में पिछड़ रहीं हॉकी प्रतिभाएं

रायपुरAug 05, 2021 / 11:31 pm

Dinesh Kumar

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छत्तीसगढ़ में भी हॉकी की नर्सरी, लेकिन सरकार की उदासीनता ने छीना गौरव

मैदान तो बना दिए, लेकिन एक भी अकादमी न खोलने और अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक न होने से प्रदेश में पिछड़ रहीं हॉकी प्रतिभाएं

रायपुर. 41 साल बाद भारतीय हॉकी पुरुष टीम का टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतना राष्ट्रीय खेल के लिए संजीवनी का काम करेगा। एक समय छत्तीसगढ़ को भी हॉकी का नर्सरी कहा जाता था। राजनांदगांव, जशपुर, दुर्ग, अंबिकापुर और बिलासपुर जिलों से कई ऐसे खिलाड़ी निकल चुके हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताआें में देश का गौरव बढ़ाया है। लेकिन, वर्तमान में सरकार की उदासीनता के कारण प्रदेश में राष्ट्रीय खेल हॉकी अपना गौरव खोता जा रहा है और प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों का इस संबंध में कहना है कि सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के एस्ट्रोटर्फ मैदान तो बना दिए, लेकिन ओलंपियन तैयार करने के लिए ग्रासरूट स्तर की योजना 21 साल बाद भी नहीं बना सकी। बिना सरकार के सहयोग से ओलंपिक व विश्वकप जैसी बड़े खेल प्लेटपफार्म के लिए खिलाडिय़ों की पौध तैयार करना मुश्किल हैं। प्रदेश में अब भी कई जूनियर और सब जूनियर स्तर की उत्कृष्ट हॉकी प्रतिभाएं हैं, जिन्हें अभी से अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोचिंग और सुविधा प्रदान की जाए, तो वह 202४-28 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकती हैं। ऐसा तब ही संभव है, जब छत्तीसगढ़ में दो से तीन आवासीय अकादमी खोली जाएं।
पांच अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैदान, सभी खाली
छत्तीसगढ़ में करोड़ों की लागत से पांच-पांच अंतरराष्ट्रीय स्तर के एस्ट्रोटर्फ युक्त मैदान बन चुके हैं, जिसमें से दो रायपुर में, एक-एक राजनांदगांव, बिलासपुर और जशपुर (निर्माणाधीन) स्थित हैं। लेकिन, कई खेल प्रशिक्षकों और संघ के मांग के बावजूद मैदानों को नियमित कोचिंग के लिए नहीं खोला जा रहा है। नियमित प्रयोग न करनेे व रख-रखाव के अभाव में रायपुर के मैदान भी अब खराब होने लगे है।
2015 में अकादमी की घोषणा, अब तक नहीं खुली

रायपुर में वर्ष 2015 में जब पहला एस्ट्रोटर्फ मैदान बना था, उस समय तत्कालीन सरकार ने आवासीय अकादमी खोलने की घोषणा की थी। अकादमी के लिए 50 लाख का बजट और 17 सदस्यीय सेटअप की भी स्वीकृति मिल चुकी थी। लेकिन, अधिकारियों की उदासीनता के कारण अब तक अकादमी नहीं खुली। खेल विभाग ने केवल गैर आवासीय खोली, जिसमें से एक भी खिलाड़ी छह साल बाद राष्ट्रीय स्तर का नहीं निकल सका। हालांकि, अब वर्ष 2020 में खेलो इंडिया योजना के तहत रायपुर में हॉकी की अकादमी खोलने को मंजूरी मिली है, जिसे शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
देश का गौरव बढ़ाने वाले प्रदेश के हॉकी खिलाड़ी
रेणुका यादव (छत्तीसगढ़ की पहली महिला ओलंपियन व रियो ओलंपिक में भारतीय टीम की सदस्य), सबा अंजुम (पूर्व अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी), नीता डुमरे (पूर्व अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी), मृणाल चौबे (अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी), बलविंदर कौर (अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी), रेणुका राजपूत (जूनियर अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी), विसेंट लाकड़ा (अविभाजित छत्तीसगढ़ में जशपुर निवासी, 1978 हॉकी विश्वकप में खेलने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे), स्वर्गीय एरमैन आर बसटियन (अविभाजित छत्तीसगढ़ के समय राजनांदगांव के 1960 रोम ओलंपिक में रजत पदक जीतनेे वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे)
इन खिलाडिय़ों में ओलंपियन बनने की क्षमता
छत्तीसगढ़ में कई 14.18 वर्ष तक की हॉकी प्रतिभाएं है, जिन्हें सुविधाएं, संसाधन और अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण देने से ओलंपियन बनाया जा सकता है और 2024९28 ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम का सदस्य बन सकती है।
महिला खिलाड़ी: मोनिका तिर्की (खेलो इंडिया योजना में शामिल, बिलासपुर),
अंजली महतो (दुर्ग), भूमिक्षा साहू, आंचल साहू, अनिशा साहू (राजनांदगांव), सेवंती पोयम (कोंडागांव)।

पुरुष खिलाड़ी: कार्तिक यादव, अर्जुन यादव, सोनू निषाद, तरुण यादव, संदीप ठाकुर (सभी राजनांदगांव), ओमप्रकाश गुप्ता (बिलासपुर), मोहित नायक (रायपुर)।
अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा की मेजबानी भी कर चुके
रायपुुर और राजनांदगांव में एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम बनने के बाद राजधानी में वल्र्ड हॉकी लीग फाइनल का आयोजन भी वर्ष 2015 में हो चुका है।

राष्ट्रीय स्तर पर एक भी पदक नहीं
अलग राज्य बनने के दो दशक बाद भी प्रदेश में हॉकी खिलाडिय़ों को तैयार करने और विश्वस्तरीय प्रशिक्षण की योजना शुरू नहीं होने से अब तक राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिताओं में एक भी पदक प्रदेश की टीमें नहीं जीत सकी हैं।
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सरकार का सहयोग जरूरी
अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने के लिए खेल संघों को प्रदेश सरकार का सहयोग जरूरी है। ग्रासरूट स्तर से योजना बनाकर काम करना होगा। संघ अपने संसाधन से हॉकी को डेवलप करने के लिए प्रयासरत है, लेकिन बिना अकादमी के लिए ओलंपियन पैदा करना संभव नहीं है। मध्यप्रदेश की तरह यहां भी दो-तीन अकादमी होनी चाहिए और मैदानों को खिलाडि़यों के लिए खोलना चाहिए।
फिरोज अंसारी, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ हॉकी संघ
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पदक से भारत में हॉकी को मिलेगी संजीवनी

टोक्यों ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के पदक जीतने से देश में राष्ट्रीय खेल को संजीवनी मिलेगी। परिजन प्रोत्साहित होंगे और अपने बच्चों को मैदान भेजेंगे, जिससे टैलेंट सर्च करने का मौका मिलेगा। छत्तीसगढ़ में हॉकी के विकास के लिए लांग टर्म योजना बनाने की जरूरत हैए जिसमें आवासीय अकादमी खोलना सर्वाधिक जरूरी है।
मृणाल चौबे, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी छत्तीसगढ़

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हॉकी मैदानों में दिखेगी खिलाडिय़ों की फौज

भारतीय हॉकी के लिए आज का दिन बहुत बड़ा है। भारतीय टीम के टोक्यो में पदक जीतने से खोया हुआ हॉकी का गौरव वापस आएगा। अभिवावक अपने बच्चों को मैदान में भेजने के लिए प्रेरित होंगे, मैदान में नन्हे खिलाडिय़ों की भीड़ दिखेगी। छत्तीसगढ़ में भी ओलंपियन निकालने के लिए नियमित प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी , जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी।
रेणुका यादव, अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी व पहली महिला ओलंपियन, छत्तीसगढ़

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