छत्तीसगढ़ में करोड़ों की लागत से पांच-पांच अंतरराष्ट्रीय स्तर के एस्ट्रोटर्फ युक्त मैदान बन चुके हैं, जिसमें से दो रायपुर में, एक-एक राजनांदगांव, बिलासपुर और जशपुर (निर्माणाधीन) स्थित हैं। लेकिन, कई खेल प्रशिक्षकों और संघ के मांग के बावजूद मैदानों को नियमित कोचिंग के लिए नहीं खोला जा रहा है। नियमित प्रयोग न करनेे व रख-रखाव के अभाव में रायपुर के मैदान भी अब खराब होने लगे है।
रेणुका यादव (छत्तीसगढ़ की पहली महिला ओलंपियन व रियो ओलंपिक में भारतीय टीम की सदस्य), सबा अंजुम (पूर्व अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी), नीता डुमरे (पूर्व अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी), मृणाल चौबे (अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी), बलविंदर कौर (अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी), रेणुका राजपूत (जूनियर अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी), विसेंट लाकड़ा (अविभाजित छत्तीसगढ़ में जशपुर निवासी, 1978 हॉकी विश्वकप में खेलने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे), स्वर्गीय एरमैन आर बसटियन (अविभाजित छत्तीसगढ़ के समय राजनांदगांव के 1960 रोम ओलंपिक में रजत पदक जीतनेे वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे)
छत्तीसगढ़ में कई 14.18 वर्ष तक की हॉकी प्रतिभाएं है, जिन्हें सुविधाएं, संसाधन और अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण देने से ओलंपियन बनाया जा सकता है और 2024९28 ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली भारतीय टीम का सदस्य बन सकती है।
अंजली महतो (दुर्ग), भूमिक्षा साहू, आंचल साहू, अनिशा साहू (राजनांदगांव), सेवंती पोयम (कोंडागांव)। पुरुष खिलाड़ी: कार्तिक यादव, अर्जुन यादव, सोनू निषाद, तरुण यादव, संदीप ठाकुर (सभी राजनांदगांव), ओमप्रकाश गुप्ता (बिलासपुर), मोहित नायक (रायपुर)।
रायपुुर और राजनांदगांव में एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम बनने के बाद राजधानी में वल्र्ड हॉकी लीग फाइनल का आयोजन भी वर्ष 2015 में हो चुका है। राष्ट्रीय स्तर पर एक भी पदक नहीं
भारत में अब बढ़ेगा हॉकी के प्रति लगाव सरकार का सहयोग जरूरी
अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने के लिए खेल संघों को प्रदेश सरकार का सहयोग जरूरी है। ग्रासरूट स्तर से योजना बनाकर काम करना होगा। संघ अपने संसाधन से हॉकी को डेवलप करने के लिए प्रयासरत है, लेकिन बिना अकादमी के लिए ओलंपियन पैदा करना संभव नहीं है। मध्यप्रदेश की तरह यहां भी दो-तीन अकादमी होनी चाहिए और मैदानों को खिलाडि़यों के लिए खोलना चाहिए।
फिरोज अंसारी, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ हॉकी संघ
पदक से भारत में हॉकी को मिलेगी संजीवनी टोक्यों ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के पदक जीतने से देश में राष्ट्रीय खेल को संजीवनी मिलेगी। परिजन प्रोत्साहित होंगे और अपने बच्चों को मैदान भेजेंगे, जिससे टैलेंट सर्च करने का मौका मिलेगा। छत्तीसगढ़ में हॉकी के विकास के लिए लांग टर्म योजना बनाने की जरूरत हैए जिसमें आवासीय अकादमी खोलना सर्वाधिक जरूरी है।