ऐसे इस शहर को मिला यह नाम छत्तीसगढ़ की न्यायधानी के रूप में प्रसिद्ध बिलासपुर शहर का यहा नाम कैसे पड़ा और कैसे एक साहसिक लड़की पर राजा ने इस शहर का नाम बिलासपुर रख दिया।
इस कहानी की शुरूवात तब होती है, जब अरपा नदी के किनारे से गुजरते मछुवारो के दल में से एक मछुवारें को अरपा नदी की मनमोहक ध्वनि मोहित कर लेती है और वह अपने परिवार के साथ जिसमे उसकी एक बेटी भी है नदी के किनारे अपना घर बना लेता है, जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा मछुवारे की सुन्दर बेटी बिलासा बड़ी होने लगी।
बिलासा निर्भीक और निडर लड़की थी।एक बार जब गाँव में कोई भी पुरुष नहीं था। एक शूकर वहाँ घुस आता है। बिलासा अपनी बहादुरी का परिचय देती है, और उस शूकर को भाले से हमला कर मार देती है।
बिलासा की बहादुरी का एक और किस्सा प्रसिद्ध है समय का पहिया घूमता है,और एक बार राजा कल्याण साय रतनपुर जो उस समय राजधानी हुआ करती थी, वहां से शिकार करने निकलते है। शिकार खेलते-खेलते राजा काफी दूर निकल आते है। जंगली जानवर उनपर हमला कर देते है। घायल हो कर राजा गिर पड़ते है कि तभी वहाँ बिलासा पहुँचती है।बहादुर बिलास जानवरों से मुकाबला करती है और किसी तरह राजा को बचा लेती है।
कुछ दिन राजा की देख-भाल के बाद राजा की सेहत में सुधर अाता है, वह बिलासा की बहादुरी से बेहद खुश होते है। बिलासा को शाही पालकी में राजधानी रतनपुर लाया जाता है।जहाँ बिलासा ने अपने तीर-कमान से लोगों को मोहित कर लिया।बिलासा से बेहद प्रसन्न राजा ने एक नए नगर की स्थापना कर दी और उस नगर का नाम बिलासा पर दिया और वह नगर बिलासपुर के नाम पर जाना-जाने लगा।