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बच्चों में ज्यादा डिस्ट्रैक्शन हो तो काउंसलिंग कराएं पैरेंट

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वेबिनार में एक्सपर्ट ने दी सलाह

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बच्चों में ज्यादा डिस्ट्रैक्शन हो तो काउंसलिंग कराएं पैरेंट

बच्चों में ज्यादा डिस्ट्रैक्शन हो तो काउंसलिंग कराएं पैरेंट

रायपुर. इन दिनों पढ़ाई में एकाग्रता बनी रहना बड़ी चुनौती बन गई है। न सिर्फ स्टूडेंट्स बल्कि पैरेंट्स भी परेशान हैं। डिस्ट्रैक्शन जब हद से गुजर जाए तो काउंसिलिंग कराना चाहिए। अगर आप किसी मनोचिकित्सक के पास जाते हैं तो इसका अर्थ यह कतई नहीं कि मनोरोगी हैं। यह कहा एक्सपर्ट ने। छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने शनिवार को ज़ूम पर वेबिनार रखा। विषय था-कोविड तथा परीक्षा पर मानसिक सलाह, वर्तमान समय में खानपान एवं पोषण। वेबिनार में स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स शामिल हुए। बतौर विशेषज्ञ एम्स मनोचिकित्सा के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रिमझिम श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों व अभिभावकों की समस्याओं का समाधान बताया। वेबिनार को आईएमए के अध्यक्ष डॉ. विकास अग्रवाल, सचिव डॉ. दिग्विजय सिंह ने होस्ट किया।

बाहर खाना अवाइड करें
एक छात्रा ने पूछा कि हैल्दी फ़ूड की बात कही जाती है। लेकिन आजकल तो हर चीज में केमिकल है। इस पर डॉ. रिमझिम ने कहा कि हैल्दी फूड वो है जो आपके घर में बना हिट है। बाहर के समोसे तो टेस्टी लगेंगे लेकिन उसमें तेल रीयूज होता है। पिज्जा लजीज तो होता है लेकिन उसे स्वादिष्ट बनाने में केमिकल डालते हैं। इसलिए बाहरी चीजों को खाने से बचें।

रिकलेक्ट से बढ़ाएं लर्निंग प्रैक्टिस
एक सवाल पर एक्सपर्ट ने कहा कि जब भी आप कुछ पढ़ें आखिर में उसे कागज पर लिखकर रीकलेक्ट करें। इससे लर्निंग प्रैक्टिस बढ़ती है। एग्जाम टाइम में याददाश्त मजबूत होती है।

स्कूल जाने से ही सुधरेगी हैंडराइटिंग
एक अभिभावक ने पूछा कि बच्चे की हैंडराइटिंग खराब हो गई है। विशेषज्ञ ने कहा कि इसके लिए स्कूल में ही सुधार सम्भव है। पढ़ाई छूटने से ऐसी नौबत आई है।