इस तरह असर पड़ता है उंगुली चटकाने से?
उंगलियों के जोड़ और घुटने और कोहनी के जोड़ों में एक खास लिक्विड होता है। जो हड्डियों को जोडऩे का काम करता है। इसका नाम होता है Synovial fluid । ये लिक्विड हमारी हड्डियों के जोड़ों में ग्रीस का काम करता है। साथ ही हड्डियों को एक दूसरे से रगड़ खाने से रोकता है। ठीक वैसे ही जैसे गाडिय़ों में ग्रीस डाला जाता है। उस लिक्विड में मौजूद गैस जैसे कार्बन डाईऑक्साइड नई जगह बनाती है। इससे वहां बुलबुले बन जाते हैं। अब जब हम हड्डी चटकाते हैं तो वही बुलबुले फूट जाते हैं। तभी कुट-कुट की आवाज़ आती है। यही होता है उंगली फोडऩे पर।
गठिया की भी बढ़ जाती है संभावना
एक रिपोर्ट के मुताबिक हड्डियां आपस में लिगामेंट से जुड़ी होती हैं। बार-बार उंगलियां चटकाने से उनके बीच होने वाला लिक्विड कम होने लगता है। अगर ये पूरा ख़त्म हो जाए तो गठिया हो सकता है। इसके साथ ही यदि जोड़ों को बार-बार खींचा जाए तो हमारी हड्डियों की पकड़ भी कम हो सकती है। हालांकि कई शोध इस बात पर सहमति नहीं बताते है। हां इससे कुछ दिक्कतें हो सकती हैं। लेकिन जिन लोगों को पहले से अर्थराइटिस की समस्या है उन्हें तो बिल्कुल भी उंगलियां नहीं चटकानी चाहिए।
आ सकती है सूजन
ऐसा नहीं है कि उंगलियां चटकाना पूरी तरह से सुरक्षित है, कुछ स्टडीज भी बताती हैं कि उंगलियां चटकाने से हाथ में चोट आ सकती है। इससे सॉफ्ट टिश्यूज में सूजन आ सकती है, एक स्टडी में बताया गया था कि काफी लंबे वक्त से उंगलियां चटकाने का बुरा असर पड़ सकता है।
हाथों को व्यस्त रखें
हाथ में पेंसिल या सिक्के रखे रहें ताकि उंगलियां चटकाने की जरूरत न महसूस हो।
रबर बैंड का भी इस्तेमाल कर सकते है
कुछ लोग इस आदत से छुटकारा पाने के लिए कलाई पर रबर बैंड का इस्तेमाल करते हैं।
थेरेपिस्ट की सलाह लें
अगर इस आदत से आपकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है, तो डॉक्टर या थेरेपिस्ट कुछ तरह की बिहेवेरियल थेरेपी दे सकते हैं।