कृषि वैज्ञानिक स्वप्निल श्रीवास्तव के मुताबिक वैसे तो केंचुए खुद-ब-खुद भी पैदा हो जाते हैं, लेकिन बारिश में उतार-चढ़ाव के कारण कई बार इनकी पैदावार प्रभावित होती है। इसलिए वर्मी फार्म से उन्नत नस्ल के केंचुए डालने से खाद जल्दी तैयार होता है। इनके रेट्स कहीं पर भी इतने अधिक नहीं होते। भारत में ऑनलाइन कई लोग केंचुए सप्लाई का काम करते हैं। लेकिन इनकी सप्लाई हर जगह नहीं हो पाती।
जिले में 201 गोठानों में केंचुआ खाद का काम चल रहा है। जबकि अधिकृत केंचुआ विक्रेता एजेंसियां सिर्फ 3 हैं। इसलिए केंचुओं की किल्लत बढ़ गई है। कंपोस्ट यूनिट में ऐसे तैयार होती है खाद अच्छी गुणवत्ता की केंचुआ खाद बनाने के लिए सीमेंट तथा ईंट से पक्की क्यारियां बनाई जा रही है। प्रत्येक क्यारी की लंबाई 3 मीटर और चौड़ाई एक मीटर तथा ऊंचाई 30 से 50 सेंटीमीटर रखते हैं। 100 मीटर क्षेत्र में 90 क्यारियां तैयार हो रही है हैं।
एमजी श्यामकुंवर, उपसंचालक, कृषि विभाग