इसलिए खास है भारतीय संविधान
आपको बता दें कि 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 नवंबर 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था। 26 नवंबर का दिन संविधान के महत्व का प्रसार करने के लिए चुना गया था। विश्व में भारत का संविधान सबसे बड़ा है। इसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं। भारत का संविधान एक हस्तलिखित है। इसमें 48 आर्टिकल हैं। इस संविधान को तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का वक्त लगा था। 29 अगस्त 1947 को भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति की स्थापना हुई जिसमें अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अंबेडकर की नियुक्ति हुई।
संविधान में शासन की सीमा निर्धारित की गई
एडवोकेट जिनेंद्र पारख का कहना है, देश का संविधान इस बात को सुनिश्चित करता है कि समाज में विधि का शासन है, ऐसा नहीं है कि संविधान मात्र के होने से सुशासन होगा ही, लेकिन इससे शासन की एक सीमा तय होती है। शोषित-वंचित वर्ग को समान अधिकार, केंद्र एवं राज्य के मध्य क़ानूनी सहमति आदि विषयों पर संविधान की विशेष भूमिका रही है। हमें यह भी ज्ञात होना चाहिए की अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के दो पहलू हैं, इसलिए हमें संविधान में दिए कर्तव्यों का अनुसरण भी करना चाहिए।
संविधान को समझने की जरूरत
लॉ स्टूडेंट स्वाति भार्गव ने कहा, भारत के संविधान को इस देश की ऐतिहासिक सामाजिक धार्मिक और राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। सरल शब्दों में संविधान का अर्थ तभी है जब किसी बच्चे को शिक्षा से वंचित ना किया जाए एवं किसी व्यक्ति या धर्म के नाम पर भेदभाव ना किया जाए। वर्तमान में संविधान को सच्चे अर्थ में समझने की आवश्यकता है।
संविधान ने महिलाओं को बनाया सशक्त
स्टूडेंट लॉ चांदनी नागदेव ने कहा, अगर मैं कहूं तो संविधान के बाद ही महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है। पहले राजकाल से ही उन्हें शूद्रों की तरह ट्रीट किया जा रहा था। पुरुषों से कम आंकना, एजुकेशन पर भी रोक थी। संविधान आने के बाद ही उन्हें अपने अधिकार को दिया गया। मेरे अनुसार इंडियन कॉन्स्टिीट्यूशन शांति एवं युद्धकाल में देश को एकता के सूत्र में बांधे रखता है।