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रायपुर

नई कैथलैब मशीन के लिए जनवरी-फरवरी तक करना होगा इंतजार

– आंबेडकर अस्पताल में स्थापित पुरानी मशीन तीन बार हो चुकी है खराब- मरम्मत कराकर मरीजों का किसी प्रकार से किया जा रहा इलाज

रायपुरNov 25, 2019 / 11:16 am

abhishek rai

नई कैथलैब मशीन के लिए जनवरी-फरवरी तक करना होगा इंतजार

नई कैथलैब मशीन के लिए जनवरी-फरवरी तक करना होगा इंतजार

रायपुर. राजधानी के डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल अंतर्गत संचालित एडवांस कॉर्डिक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में जनवरी-फरवरी तक नई कैथलैब मशीन स्थापित की जाएगी। नई मशीन नीदरलैंड से आएगी। इसके लिए कंपनी से प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। एसीआई में लगी मशीन जुलाई में ही आउटडेटेड हो चुकी है। बीते तीन माह में यह तीन बार बंद हो चुकी है। एक बार तो बच्चों के दिल के सुराख बंद करने के लिए सर्जरी होनी थी और मशीन रात में ही बंद हो गई। आनन-फानन में इंजीनियर बुलाकर आधी रात इसे ठीक कराया गया। कैथलैब मशीन बंद होने से हार्ट के मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टि के लिए १५ से २० दिनों का इंतजार करना पड़ता है। ओपीडी में प्रतिदिन ६० से ७० मरीज आते हैं। अब तो मशीन ठीक करने वाली कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए हैं। कंपनी का कहना है कि मशीन अब बिगड़ी तो ठीक करना संभव नहीं है।
साढ़े तीन करोड़ में नई मशीन और शिफ्टिंग
एसीआई में नई मशीन और कैथलैब की शिफ्टिंग पर साढ़े तीन करोड़ रुपए खर्च होंगे। नई मशीन की कीमत करीब डेढ़ करोड़ है। नई मशीन के आने के बाद पुरानी मशीन को कंपनी अपनी साथ लेकर जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि पुरानी मशीन का समय रहते अपग्रेडेशन हो गया होता तो करीब १० साल तक नई मशीन की जरूरत नहीं पड़ती।
प्रदेश का इकलौता अस्पताल
आंबेडकर अस्पताल के एसीआई को छोड़कर प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज में कॉर्डियक सर्जन और कॉर्डियोलॉजिस्ट नहीं हैं। डॉ. स्मित श्रीवास्तव एक मात्र कॉर्डियोलॉजिस्ट हैं, जबकि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कम से कम दो और कॉर्डियोलॉजिस्ट की यहां जरुरत है। स्टाफ नर्स, तकनीशियन भी पर्याप्त नहीं है जबकि सेटअप में 200 पद हैं।
जनवरी-फरवरी तक नई मशीन आने की उम्मीद है। उसी दौरान शिफ्टिंग का काम भी हो जाएगा। साढ़े तीन करोड़ खर्च होगा। पुरानी मशीन से डर तो रहता है कि कहीं प्रोसिजर के बीच में खराब न हो जाए।
डॉ. स्मित श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष, कॉर्डियोलॉजी, एसीआई

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