प्रकाशक नहीं कर रहे न्याय
31 किताब लिख चुके पूर्व आइपीएस बीकेएस रे कहते हैं कि प्रकाशक लेखकोंं के साथ न्याय नहीं कर रहे। उनका नजरिया पूरी तरह व्यावसायिक हो चला है। हो ये रहा है कि लेखकों को पहले प्रकाशकों को पैसा देना होता है उसके बाद प्रकाशक राइटर को रॉयल्टी देते हैं। इसमें भी कितनी किताबें बिकी वे छिपा देते हैं और लेखक को नुकसान होता है। दूसरी बात ये कि पाठक भी किताब खरीदने में रुचि नहीं ले रहे हैं। लेखकों के लिए तभी अच्छा हो कि किताबें ज्यादा से ज्यादा खरीदी जाएं और प्रकाशक शोषण न करें।
युवा भी ले रहे रुचि ले रहे रुचि
सिटी के 19 वर्षीय अक्षत लाखे और हेमंत बंसल की ‘स्पेक्ट्रम ऑफ थॉट्स’ जून तक लॉंच होगी। इसमें देश के कुछ लेखकों की कविताओं व शायरी का संग्रह है। सीए इंद्रप्रीत कौर ने ‘व्हेन आइ स्टॉपेड लिविंग टू इंप्रेस’ लिखी है। यह एक जनरल रोमांटिक बेस पर है लेकिन मोटिवेशनल टच भी देती है। इंद्रपीत कहती हैं कि ११वीं में ही किताब लिखने का सोचा था लेकिन सीए की पढ़ाई के चलते लिख नहीं पाई थी। वहीं डीबी गल्र्स कॉलेज में फस्र्ट इयर की मीना जांगड़े ‘सोच बदलनी है’, ‘मां नाम मैं भी रखूंगी’ और ‘संभावनाएं हैं जिंदगी में’ काव्य पुस्तकें लिखी हैं।
जिला ग्रंथालय ने खोली 12 मिनी लाइब्रेरी
लोगों में किताबों के प्रति रुझान लाने के उद्देश्य से 12 स्थानों पर लाइब्रेरी खोली है। इसमें वहीं के स्टॉफ को जिम्मेदारी दी गई है। इसमें कचहरी बाल आश्रम, सेंट्रल जेल, बाल संप्रेषण केंद्र, बालिका आश्रम माना, नशामुक्ति केंद्र माना शंकर नगर, कैंसर वार्ड अंबेडकर हॉस्पिटल, सतत शिक्षा केंद्र टिकरा पारा, जिला पंचायत लोक शिक्षा समिति शामिल हैं। यहां सभी तरह की किताबें हैं। लाइब्रेरियन पूर्णिमा ग्रबेल ने बताया, मोबाइल लाइब्रेरी खोलने की योजना थी लेकिन किन्हीं कारणों के चलते मिनी लाइब्रेरी खोले जाने का फैसला लिया गया। हमारा मकसद है कि लोगों तक किताबों की पहुंच हो इसके लिए एेसी १२ जगहों का चयन किया गया जहां आसानी से किताबें उपलब्ध करा सकें और पब्लिक को पढऩे का टाइम भी मिल सके।