स्टेशन में पूड़ी-सब्जी, समोसा, खस्ता सहित फास्ट फूड खुलेआम बेचा जाता है। यहां तक चलती ट्रेनों में भी वेंडर काफी सक्रिय रहते हैं। उन पर औचक रूप से निरीक्षण करने के लिए रेल अफसर दावा करते हैं, लेकिन यह अभियान तभी तक चलता है, जब रेलवे का पखवाड़ा चलता है। जैसे ही इसका समापन होता है तो स्टॉलों से लेकर चलती ट्रेनों में खान-पान की जांच भी ठप कर दी जाती है। जबकि, नागपुर रेल डिवीजन में विगत दिनों आजाद हिंद एक्सप्रेस के पेंट्रीकार में गंदगी और घटिया भोजन परोसे जाने के मामले में 80 हजार से अधिक जुर्माना वसूली करने की अफसरों ने अनुशंसा की है, लेकिन रायपुर रेल डिवीजन में इस तरह के एक भी मामले सामने नहीं आए।
Read more:किसी के बहकावे में न आएं,जानें IND सिक्योरिटी नंबर प्लेट की सच्चाई नहीं की जाती लगातार निगरानीरायपुर स्टेशन से होकर गुजरने वाली पेंट्रीकार वाली गाडि़यों में न तो खान-पान की गुणवत्ता की लगातार जांच की जाती और न ही स्टेशन की कैंटीन व स्टॉलों की। यात्रियों को गुणवत्तापूर्ण खान-पान मिल सके, इसके लिए रेलवे ने अलग-अलग ठेका तय कर रखा है। लेकिन निगरानी के अभाव में ठेकेदारों की मनमानी ही चलती है।
आधा दर्जन से अधिक ट्रेनों में पेंट्रीकार
रायपुर स्टेशन से आधा दर्जन सहित अधिक पेंट्रीकार वाली ट्रेनें गुजरती हैं। इन ट्रेनों की कभी जांच स्टेशन में करने के लिए अमला नजर नहीं आता है। जबकि, मुसाफिर इतने कि हर दिन 130 ट्रेनों का आना-जाना होता है। स्टेशन में हर दिन ३५ हजार से अधिक यात्रियों के सफर करने का आंकड़ा है।
नागपुर व रायपुर की लैब में जांच
अफसरों का कहना है कि खान-पान के जो सैम्पल लिए जाते हैं। उसकी जांच नागपुर और रायपुर के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की लैब में कराई जाती है। वहां से जो रिपोर्ट मिलती है, उसके आधार पर कार्रवाई की जाती है। रेलवे के पास खुद की लैब नहीं हैं। जबकि, सबसे बड़ा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का दावा किया जाता है।
जांच कभी ठप नहीं की जाती यात्रियों को अच्छा खान-पान मुहैया कराना रेलवे की प्राथमिकता है। जांच कभी ठप नहीं की जाती, बल्कि आला अफसर तक कई बार औचक रूप से जांच करते हैं। कई बार फाइन भी किया गया है।
शिव प्रसाद पंवार, सीनियर पब्लिसिटी इंस्पेक्टर, रेलवे