इसके लिए स्थानीय संगठन से दोनों लोकसभा क्षेत्रों की रिपोर्ट मांगी गई है। वहीं बूथवार हार-जीत के अंतर को देखते हुए कमजोर कड़ी को खोजने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले निकाय चुनावों को देखते हुए इस रिपोर्ट को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है।
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि स्थानीय संगठनों से लोकसभा चुनाव (Lok Sabha polls) की समीक्षा रिपोर्ट मांगी गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश स्तर में इसकी समीक्षा की जाएगी। इसके लिए जल्द ही बैठक बुलाने की तैयारी है। इसी बैठक में दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में होने वाले नगरीय निकायों के चुनाव की तैयारियों पर भी चर्चा हो सकती है।
दरअसल, राज्य निर्माण के बाद लोकसभा चुनाव (lok sabha chunav) में यहां भाजपा का दबदबा रहा। यहां की 11 लोकसभा सीट में से 10 सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा में जहां दुर्ग लोकसभा सीट को कांग्रेस वापस लिया, लेकिन कोरबा (korba lok sabha seat) और बस्तर (bastar lok sabha seat) की लोकसभा सीटों को गंवा दिया।
अहम बात यह है कि लोकसभा चुनाव (general election) से ठीक पहले बस्तर लोकसभा क्षेत्र से एक मात्र भाजपा प्रत्याशी भीमा मण्डावी की माओवादियों ने हत्या कर दी थी। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा को सहानुभूति लहर का फायदा होगा, लेकिन परिणाम ठीक इससे उलट आए।
इस परिणाम (election results) को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह (Raman Singh) का कहना है कि बस्तर में इस घटना के बाद कार्यकर्ताओं में डर था। इसका नुकसान उठाना पड़ा। वहीं उन्होंने बस्तर में नोटा को सर्वाधिक वोट मिलने के पीछे भी माओवादियों की धमकी बड़ा कारण बताया है।
मीडिया विभाग की भूमिका रही अहम
इस लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) में मीडिया विभाग की भूमिका काफी अहम रही। भाजपा ने राष्ट्रवाद के मुद्दे को प्रमुखता से जनता के सामने रखा। कांग्रेस घोषणा पत्र पर सवाल उठाते हुए घोषणा पत्र की प्रतियों को भी जलाया गया। वहीं भूपेश सरकार (Bhupesh Govt) की वादा-खिलाफी को जनता के बीच ले जाने में पूरी तरह सफल रहा।