तो इन्होंने इसकी मांग कर दी। ड्यूटी डॉक्टर ने कहा- यहां यह सब नहीं मिल सकता। तो इन्होंने हंगामा करना शुरू कर दिया। दो दिन तक इन्होंने विरोध किया, मगर जब इन्हें यह समझ आ गया कि इनकी नहीं चलने वाली तो ये दाल, चावल और रोटी खा रहे हैं। इसमें ही ये खुश हैं।
पत्रिका को यह जानकारी देते हुए क्वारंटाइन सेंटर के डॉक्टरों ने बताया कि यहां 18 कमरें हैं और 18 लोग/परिवार यहां रह रहे हैं। कई परिवार में छोटे बच्चे भी हैं। इनके लिए खिलौने भी मुहैया करवाए गए हैं। वहीं हर एक कमरे में टीवी लगी हुई है, ताकि ये मनोरंजन भी कर सकें। यहां यह भी बता दें कि जितने लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया है उनके हाथों में सील लगाई जा रही है, ताकि इनकी पहचान बनी रहे।
हरियाली और लेक व्यू भी- सेक्टर 24 का चयन इस प्रकार से किया गया है कि यहां रहने वाले बोर न हों। यहां चारों तरफ हरियाली है और एक तरफ बड़ा तालाब भी। यह नजारा किसी झील के किनारे के होटल के जैसा है। वहीं इन्हें कैरम, चेस, लूडो जैसे इंडोर गेम की सामग्री भी दी गई है।
निजी होटल से भागे सरकारी सेंटर में-
सरकार ने विदेश से लौटने वालों को होटल में ठहरने का विकल्प दिया, कुछ लोग जाकर ठहरे। जब पता चला कि सरकार नहीं, बल्कि व्यक्ति विशेष को ही भुगतान करना होगा। ऐसे में कई लोग होटल छोड़कर सरकारी सेंटर में आ गए। क्योंकि यहां सुविधा होटल जैसे ही है, और खर्च शून्य है।
सेक्टर २४ फुल, अब निमोरा में रख रहे हैं-
राज्य स्वास्थ्य विभाग ने रायपुर में दो क्वारंटाइन सेंटर बनाए हैं। सेक्टर २४ नवा रायपुर में ग्रामीण सड़क नेटवर्क प्रबंधन इकाई और दूसरा निमोरा में। सेक्टर २४ वाला सेंटर में १८ लोगों को ठहराने की व्यवस्था थी, जो हाउसफुल हो चुका है। अब निमोरा में लोगों को ठहराया जा रहा है। क्वारंटाइन के लिए सरकार भवनों, अस्पतालों और निजी संस्थानों को अधिग्रहित कर रही है।
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से क्वारंटाइन में रहने वालों को सभी सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। सभी की जांच करवाई जा रही है, और रिपोर्ट निगेटिव आ रही है उन्हें जाने भी दिया जा रहा है। इस समझाइश के साथ की कुछ दिन और घर पर ही रहें।
डॉ. अखिलेश त्रिपाठी, उप संचालक एवं प्रभारी क्वारंटाइन सेंटर, स्वास्थ्य संचालनालय