ज्योतिषी डॉ. विनीत शर्मा ने बताया कि देवों के देव महादेव और देवी पार्वती के गठबंधन का उत्सव पर्व महाशिवरात्रि है। इस बार महाशिवरात्रि सर्वार्थसिद्धि योग और शनि प्रदोष व्रत में मनाई जाएगी। शिवरात्रि और प्रदोष व्रत दोनों ही शिव जी को अति प्रिय है। प्रदोष व्रत में शिव जी की शाम के समय पूजा की जाती है। शास्त्रों में उल्लेख है कि संध्याकाल में भोलेनाथ कैलाश पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं।
इस दौरान महादेव की आराधना करने वाले भक्त को शिव शंभू का आशीर्वाद जरूर मिलता है। सुखी दांपत्य जीवन और अच्छे वर की कामना के लिए महाशिवरात्रि का व्रत बहुत महत्व रखता है। इस बार महाशिवरात्रि बहुत खास मानी जा रही है, क्योंकि इस दिन कई दुर्लभ योग का संयोग बन रहा है जिसमें शिव-पार्वती का पूजन दोगुना फल प्रदान करेगा।
किस प्रहर क्या पूजा और कब है शुभ मुहूर्त, जानिए…
चतुर्दशी तिथि 17 फरवरी रात 8.02 से शुरू होकर 18 फरवरी की शाम 4.18 बजे तक है। निशिथ काल पूजा मुहूर्त 19 फरवरी को तड़के 12.16 से 1.06 बजे तक है। महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त 19 फरवरी को सुबह 6.57 से दोपहर 3.33 बजे तक है। 18 को महाशिवरात्रि में रात्रि प्रथम प्रहर की पूजा शाम 6.30 से 9.35 बजे तक, रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय 9.35 से तड़के 12.39 बजे तक है। रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय 19 फरवरी को तड़के 12.39 से 03.43 बजे तक व रात्रि चतुर्थ प्रहर की पूजा का समय 19 फरवरी सुबह 3.43 से 06.47 बजे तक है।
पौराणिक मान्यता… इसी दिन हुआ था शिव-पार्वती का विवाह
पौराणिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए हिंदू धर्म में इस दिन को बेहद पवित्र माना गया है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करने और व्रत रखने का अत्यंत महत्व है। मानते हैं कि इस दिन व्रत रखने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ऐसे करें पूजा…
पुराणों और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार महाशिवरात्रि पर सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर शिव मंदिर में गन्ने का रस, कच्चा दूध और घी से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके अलावा भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, जायफल, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और दक्षिणा अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ करें और समापन के समय शिव आरती कर भक्तों में प्रसाद बांटें।