प्रदेश सरकार की मंशा शराबबंदी है ही नहीं, वह तो प्रदेश के साथ शर्मनाक दगाबाजी करके शराब का अवैध कारोबार चलाने पर आमादा है। प्रदेश में शराब के इस अवैध कारोबार तथा शराब की कीमत बढ़ाकर वह अपनी तिजोरियां भरने का काम कर रही है। इस सरकार को अगर प्रदेश के सरकारी खजाने की फिक्र होती तो प्रदेश में अवैध शराब बिक्री का गोरखधंधा नहीं चलता। मंत्री लखमा के बयान पर प्रदेश सरकार को साफ करना चाहिए कि शराबबंदी पर उसका रुख बार-बार बदल क्यों रहा है। क्या प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ की जनता को शराब में डुबाकर ही दम लेगी। मंडल अध्यक्ष ने कहा कि इस बात का साफ संकेत यही है कि अभी अगले चुनाव तक प्रदेश सरकार शराब के अवैध कारोबार से लोगों के पारिवारिक, सामाजिक एवं आर्थिक ताने-बाने को नष्ट करके फिर अगले चुनाव में प्रदेश के साथ ठगी करने पर आमादा है, लेकिन भाजपा प्रदेश को शराब से बर्बाद करने के कांग्रेसी सत्ताधीशों के मंसूबों को पूरा नहीं होने देगी।
आबकारी मंत्री लखमा ने यह कहकर छत्तीसगढ़ की श्रमशक्ति को भी अपमानित करने का काम किया है कि यहां लोग मेहनतकश हैं, इसलिए उन्हें शराब की जरुरत है। हम सब जानते हैं यहां माताएं-बहनें लगातार शराब के खिलाफ आंदोलन कर रही है। लगातार शराब से हत्या एवं अन्य अपराध हो रहे हैं, महिलाओं के खिलाफ हिंसा की तो यहां बाढ़ सी आ गई है, जिनमें अधिकतर के कारण शराब होते हैं। फिर भी इस तरह शराब को महिमा मंडित करने से ज्यादा निंदनीय और क्या हो सकता है।