मक्के की खेती के मुनाफे को देखते हुए अब राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के तहत गठित अनेक महिला स्व सहायता समूह भी मक्के की खेती करने लगे हैं। इससे महिला समूहों को अच्छा खासा मुनाफा होने लगा है। बेमेतरा जिले के साजा विकासखण्ड की पंचायत बेलगांव के जय बजरंग महिला स्व-सहायता समूह द्वारा भी मक्के की खेती की जा रही है। समूह की महिलाओं द्वारा मक्के की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा अर्जित किया है। समूह की महिलाओं ने मक्का का खेती करने के साथ-साथ जिमीकांदा, गवारफली, अरहर एवं धनिया का भी उत्पादन दोहरा मुनाफा हासिल किया है।
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पौष्टिकता से भरपूर और बहुपयोगी है मक्का
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में मक्का की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा लागू की गई राजीव गांधी किसान न्याय योजना में मक्का उत्पादक किसानों को 4 किश्तों में 10 हजार रुपए प्रति एकड़ के मान से प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है। मक्का एक बहुपयोगी फसल है, क्योंकि मनुष्य और पशुओं के आहार का प्रमुख अवयव होने के साथ ही औद्योगिक दृष्टिकोण से भी यह महत्वपूर्ण है। इसका प्रमुख कारण भारत की जलवायु की विविधता है। कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन और विटामिनों से भरपूर मक्का शरीर के लिए ऊर्जा का अच्छा स्त्रोत है, साथ ही बेहद सुपाच्य भी। इसके साथ मक्का शरीर के लिए आवश्यक खनिज तत्वों जैसे कि फास्फोरस, मैग्निशियम, मैगनिज, जिंक, कॉपर, आयरन इत्यादि से भी भरपूर फसल है। भारत में मक्का की खेती तीन ऋतुओं में की जाती है, खरीफ जून से जुलाई, रबी अक्टूबर से नवम्बर एवं फरवरी से मार्च। यह समय मक्का की बुआई के लिए खेतों को तैयार करने का उचित समय है।