बताया जाता है कि इस खाते का उपयोग
black money को सफेद करने के लिए किया जाता था। भ्रष्ट अफसर के खिलाफ साक्ष्य मिलने के बाद उसे ट्रस्ट में दान देने के लिए दबाव डलवाया जाता था। वहीं इसकी आड़ में ट्रस्ट में दिए गए रकम से Income Tax Department से छूट ली जाती थी। सूूत्रों का कहना है कि
EOW को प्राथमिक जांच में इसके दस्तावेज मिले हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखकर इसकी जांच करने की अनुमति मांगी है। वहीं ED को दस्तावेज भेजा गया है। हालाकि इसमें से कुछ खातों को बंद कर दिए जाने की जानकारी मिली है।
ट्रस्ट का ऑडिट नहीं हुआ : मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना को लगभग 18 साल हो गए हैं। इस दौरान एक बार भी ट्रस्ट द्वारा ऑडिट रिपोर्ट पंजीयक सार्वजनिक न्यास को नहीं देने की जानकारी मिली है। यहां तक ट्रस्ट से कौन लोग जुड़े हैं और वह क्या करते है, उनकी कितनी पूंजी लगी हुई है इसे भी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
सीए भी संदेह के दायरे में : ट्रस्ट को मिलने वाले दान की रकम और इसका हिसाब रखने वाले डेढ़ दर्जन चार्टर्ड एकाउंटेंटों की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। बताया जाता है कि नकदी और चेक के जरिए मिलने वाली रकम को वह कैश कराने के साथ ही काले धन को सफेद करते थे। ट्रस्ट द्वारा संचालित खातों में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और देश के कई राज्यों के कारोबारी और अफसर अपनी रकम जमा कराते थे।
जानकारी मांगी
Raipur के एसडीएम संदीप अग्रवाल ने बताया कि ट्रस्ट से जुड़े खातों से संबंधित शिकायत और दस्तावेज मिले हैं। इसकी वास्तविकता की जांच करने के लिए संबंधित बैंको को पत्र लिखा गया है। साथ ही सभी खाते को संचालित करने वालों के नाम मांगे गए है। इसकी रिपोर्ट मिलने के बाद ही वास्तविक स्थिति सामने आएगी।